विशेष — श्राद्ध पक्ष 2019 पर

दयानन्द शास्त्री
इस वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर 13 सितंबर 2019 ( शुक्रवार) को शततारका (शतभिषा) नक्षत्र,धृति योग,वणिज करण एवं कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो रहा है।
शास्त्रीय गणना से देखें तो पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा हैं। शतभिषा (शततारका) नक्षत्र के स्वामी वरुण देव तथा धृति योग के स्वामी जल देवता हैं।
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की शतभिषा नक्षत्र में शुरू हो रहे पितृ आराधना के पर्व में श्राद्ध करने से सौ प्रकार के तापों से मुक्ति मिलेगी।

विशेष बात यह है कि श्राद्ध पक्ष का समापन 28 सितंबर 2019 को शनिश्चरी अमावस्या के संयोग में होगा। दिन पितरों की पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा का विशेष रूप से महत्व है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी कहते हैं की इस दिन शनिदेव की पूजा करने से, उनके निमित्त उपाय करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं, साथ ही जन्मपत्रिका में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों, जैसे शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से भी छुटकारा मिलता है।

28 सितम्बर 2019 को सर्वपितृ अमावस्या पर शनिश्चरी का संयोग 20 वर्ष बाद बन रहा है जब भाद्रपद मास की पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष का आरंभ होगा। हालांकि पक्षीय गणना से अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पितृ पक्ष बताया गया है। चूंकि पंचागीय गणना में मास का आरंभ पूर्णिमा से होता है। इसलिए पूर्णिमा श्राद्ध पक्ष का पहला दिन माना गया है।इसके बाद पक्ष काल के 15 दिन को जोड़कर 16 श्राद्ध की मान्यता है।

इस दिन पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक व शारीरिक तौर पर तो संतुष्टि या कहें शांति प्राप्त होती ही है लेकिन साथ ही घर में भी सुख-समृद्धि आयी रहती है। सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। हालांकि प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को पिंडदान किया जा सकता है लेकिन आश्विन अमावस्या विशेष रूप से शुभ फलदायी मानी जाती है। पितृ अमावस्या होने के कारण इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या या महालया भी कहा जाता है। मान्यता यह भी है कि इस अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के द्वार पर श्राद्धादि की इच्छा लेकर आते हैं। यदि उन्हें पिंडदान न मिले तो शाप देकर चले जाते हैं जिसके फलस्वरूप घरेलू कलह बढ़ जाती है व सुख-समृद्धि में कमी आने लगती है और कार्य भी बिगड़ने लगते हैं। इसलिये श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिये।

पितृ जल से तृप्त होकर सुख-समृद्धि तथा वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए श्राद्ध पक्ष की शुरुआत में पंचांग के पांच अंगों की स्थिति को अतिविशिष्ट माना जा रहा है।श्राद्ध पक्ष का आरंभ शतभिषा (शततारका) नक्षत्र में हो रहा है।
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क्यों हैं बना विशेष संयोग–

नक्षत्र मेखला की गणना से देखें तो शतभिषा नक्षत्र (शततारका) के तारों की संख्या 100 है। इसकी आकृति वृत्त के समान है। यह पंचक के नक्षत्र की श्रेणी में आता है। यह शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन विद्यमान है। इसलिए यह शुभफल प्रदान करेगा।

श्राद्ध पक्ष में श्राद्धकर्ता को पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान करने से लौकिक जगत के 100 प्रकार के तापों से मुक्ति मिलेगी ।

वहीं वणिज करण की स्वामिनी माता लक्ष्मी हैं। ऐसे में विधि पूर्वक श्राद्ध करने से परिवार में माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
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सर्वपितृ अमावस्या तिथि – 28 सितंबर 2019, शनिवार

कुतुप मुहूर्त – 11:48 से 12:35
रौहिण मुहूर्त – 12:35 से 13:23
अपराह्न काल – 13:23 से 15:45
अमावस्या तिथि आरंभ – 03:46 बजे (28 सितंबर 2019)

अमावस्या तिथि समाप्त – 23:56 बजे (28 सितंबर 2019)
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शनि अमावस्या को करें इन चीजों का दान करें–
1. शनि अमावस्या के दिन काली उड़द काले जूते, काले वस्‍त्र, काली सरसों का दान करें।
2. 800 ग्राम तिल तथा 800 ग्राम सरसों का तेल दान करें।
3. काले कपड़े, नीलम का दान करें।
4. हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। हनुमान चालीसा का अधिक से अधिक दान करें। काले कपड़े में सवा किलोग्राम काला तिल भर कर दान करें। पीपल के वृक्ष पर सात प्रकार के अनाज चढ़ाकर बांट दें।

ध्यान रखें, शनि अमावस्या के दिन गलती से भी अपने घर लोहा या लोहे से बनी चीजें, नमक, काली उड़द दाल, काले रंग के जूते और तेल घर में नहीं लाना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि इन चीजों को घर लाने से दरिद्रता आती है।
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ऐसे करें शनि को प्रसन्न —
अगर जन्मपत्रिका में शनि दोष के कारण आपके काम ठीक से नहीं बन पा रहे हैं, आपके कामों में अड़चनें आ रही हैं, तो शनि अमावस्या के दिन घर पर शमी, जिसे खेजड़ी भी कहते हैं, का पेड़ लाकर गमले में लगाइए और उसके चारों तरफ गमले में काले तिल डाल दीजिये।
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‘शमी शम्यते पापं’, यानी शमी का पेड़ पापों का शमन करता है और परेशानियों से मुक्ति दिलाता है। अतः आज के दिन शमी का पेड़ जरूर लगाएं और उसके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाकर
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“ऊँ शं यो देवि रमिष्ट्य आपो भवन्तु पीतये, शं योरभि स्तवन्तु नः।”

मंत्र का 11 बार जप करें। इससे शनिदेव आपसे प्रसन्न होंगे और आपको जल्द ही परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।
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अगर आप पर शनि देव की टेढ़ी नजर है, यानी साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव चल रहा है, तो काली गाय को बूंदी के लड्डू खिलाएं।
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शनि पीड़ा शमन के लिए करें इन मंत्र का जाप–

नीलान्जन समाभासम् – रविपुत्रम यमाग्रजम छाया मार्तण्ड सम्भूतम- तम नमामि शनैश्चरम कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम: सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत: ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: ॐ शं शनैश्चराय नम:।।

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