शासन– व्यवस्था
अग्रसेनजी ने अपने राज्य को 18 बस्तियों में विभाजित कर वहां एकतंत्रीय शासनप्रणाली के स्थान पर एक नयी प्रजातांत्रिक राज्य व्यवस्थाव्यवस्था को जन्म दिया | अग्रसेनजी ने वैदिक सनातन आर्य सस्कृंति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य कीपुनर्गठन में कृषि-व्यापार, उद्योग, गौपालन के विकास के साथ साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया। महाराजा अग्रसेन जी पहले शासक थे जिन्होनें सहकारिता के आदर्श को सामाजिक जीवन में प्रतिस्थापित किया।
मेनेजमेंट गुरु महाराजा अग्रसेन
सच्चाई तो यही है कि महाराजा अग्रसेन ने अपने विशाल परिवार को हमेशा एकता के सूत्र मे बांध कर एकजुट रक्खा | इसलिए सम्राट अग्रसेनजी ने अपने आपको एक महान एवं सफल मेनेजमेंट गुरु के रूप में स्थापित किय| महाराजा अग्रसेन ओर माता माधवी ने अपने सभी 18 पुत्रों को श्रेष्ठतम संस्कार प्रदान किये थे | महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का प्रवर्तक ,अहिसां के पुजारी, सुयोग्य प्रशासकएवं आदर्श मेनेजमेंट गुरु के रूप में जाना जाता है | 8 करोड़ से अधिक अग्रवालों के लिये अग्रसेनजी के सिद्धांत हमेशा अनुकरणीय और प्रेरक बने रहेगें | 29 सितम्बर 2019 को अग्रसेनजी के 5143वें जन्म दिवस पर उन्हें कोटि कोटि प्रणाम |
डा.जे. के. गर्ग Visit Our Blog —-gargjugalvinod.blogspot.in