दीपोत्सव यानि पाँच दिन का पर्व Part 2

dr. j k garg
3. अमावस्या (दीपावली) —इस दिन सभी घरों,व्यापारिक प्रतिष्टान, कार्यस्थलों,ऑफिसों में धन-सम्पदा की देवी लक्ष्मी माताजी की विधी-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और विपत्ति-कष्ट निवारक भगवान गणेशजी की भी पूजा की जाती है | ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी घर-परिवार में सुखसमृद्धि प्रदान कर समस्त परिजनों को आशिर्वाद देकर उन पर धन-धान्य की वर्षा करेंगी | नगर,गलियों, घरों,सार्वजनिक जगहों पर दिये की रोशनी से अमावस्या के अँधेरे को शीतल चांदनी मे बदल दिया जाता है |

4. बाली प्रतिप्रदा और गोवर्धन पूजा यानि अन्नकूट यह उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है | भगवान क्रष्ण ने गोकुल वासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के वास्ते अपनी अगुंली पर विशालकाय गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था | कुछ लोग इस दिन को वामन पूजन के रूप में भी मनाते है | कुछ स्थानों जैसे महाराष्ट्र में यह दिन पडवा या नव दिवस (अर्थात् नया दिन) के रुप में भी मनाया जाता है और सभी पति अपनी पत्नियों को उपहार देते है। गुजरात में यह विक्रम संवत् नाम से कैलेंडर के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है।

5. यम द्वितीया या भाई दूज—– इस पर्व के पीछे यम की कहानी (मृत्यु के देवता) है। आज के दिन यम अपनी बहन यामी (यमुना) से मिलने आये और अपनी बहन द्बारा उनका आरती के साथ स्वागत हुआ और यम एवं यामी ने साथ साथ में खाना भी खाया। यम नें अपनी बहन यामी को अनेकों उपहार भी दिये। लोग यम द्वितीया या भाई दूज को बहन- भाई के पारस्परिक प्रति प्रेम और स्नेह के रूप में मनाते है।
प्रस्तुतिकरण—डॉ. जे. के.गर्ग

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