तुलसी विवाह विशेष

ज्योति दाधीच
देव उठनी एकादशी के दिन विशेष कर तुलसी एवम शालिग्राम पूजन अवश्य करना चाहिए अगर घर मे न हो तो देवालयों में जाकर दर्शन अर्चन अवश्य करे। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें ।अथवा तुलसी गायत्री साल में मात्र आज के दिन करने से पूरे वर्ष धन धान्य सुखों की प्राप्ति होती ह।
मन्त्र:-
🌷ॐ तुलसी देव्यै च विदमहे विष्णु प्रियायै धीमहि तन्नौ वृंदा प्रचोदयात।।🌷
इसी मन्त्र द्वारा तुलसी को नित्य अर्ध्य दे कर पूजन करे सदा घर मे नारायण का वास रहेगा।
🌷उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्दम त्यज निद्रा जगतपतयै,
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत सुप्ते भवदिदं।।🌷
उपरोक्त मन्त्र प्रार्थना द्वारा भगवान नारायण को आज जगाना चाहिए।आज के दिन से देवताओ के जागने पर मांगलिक कार्यो विवाह आदि शुभ उत्सवों का आरम्भ होता ह।
देवउठानी एकादशी के दिन किया जाता है भगवान विष्णु और तुलसी काविवाह।
हमारे शास्त्रों के अनुसार तुलसी विवाह का अत्यंत महत्व माना जाता है। इस दिन व्रत करना चाहिए जो व्रत नही कर सके उन्हें इस दिन चावल नही खाना चाहिए। तुलसी का विवाह करने वाले के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन माता तुलसी का विवाह करने वालों को कन्या दान का पुण्य मिलता है। तुलसी विवाह हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होता है। इस दिन को देवउठानी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हमारे धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन से सभी मंगल कार्य किए जाने शुरु हो जाते हैं। साथ ही तुलसी विवाह के दिन से शुभ कार्य करना चाहते हैं तो इस दिन किसी से बिना पूछे कार्य किया जा सकता है माता तुलसी के पौधे के पास दीया करना उपर दिये गये मंत्र का जप 108 बार करते है तो वो निश्चित ही जीवन मे खुशहाली और संपन्नता देता है।आज के दिन देवताओ के जागने की खुशी में देव दिवाली भी मनाई जाती ह आज शाम तुलसी का विधिवत पूजन कर तुलसी के निकट मांडना अथवा रंगोली से पगल्या डाल कर एक दीपक उस पर रखा जाता ह11 दीपक अलग से जलाए जाते ह, उसपर पूजन कर बोर, काचरा ,आंवला ,शकरकंद,मूली,बैंगन,गन्ना आदि रख कर जलते दीपक ओर मांडने पर कांसे अथवा पीतल की थाली ,शंख,घण्टी बजाते हुए तुलसी को श्रंगार अर्पित कर शालिग्राम की भी पूजन कर नारियल दक्षिणा फल अर्पित करे एवं शालिग्राम सिंगासन समेत तुलसी की सात प्रदक्षिणा करे ॐ नमो भगवते वासुदेवाय जप कर फिर
” उठो देव बैठो देव पाटकड़ा पटकाओ देव अंगुरिया चट काओ देव ….”
गाते हुए दीपक पर उल्टी थाली रख कर काजल बनाया जाता ह जिसे घर के सभी सदस्य लगाते ह मान्यता ह की इससे साल भर नेत्र रोग नही होते।पूजन पश्चात घर के द्वार पर दीप रखे जाते घर के सभी कोनो में दीपक रख देव दिवाली मनाई जाती ।इस भांति देव उठनी एकादशी मनाई जाती ह।
देवोत्थापन एकादशी पर विशेष हमारी दादी नानी से सीखी अति सरल भाव युक्त प्राचीन नित्य तुलसी स्तुति……….
ॐ तुलसी महारानी नमो नमः
हरि की पटरानी नमो नमः
तुलसी माँ मेरो बड़भाग
अंतकाल तेरो ल्यु में नाम
अंतकाल तो निसर जाय
तेरो भज्यो कदैई न जाय
जा घर तुलसी हरि भरी
वा घर धन की नाही कमी
जां घर कन्या कुंवारी होय
तां घर धर्म सदा ही होय
तुलसा मैया अड़वा दीजे
घडवा दीजे ऊपर घि का चरुआ दीजे
नव खण्ड का महल दीजे सोना का तू रथ दीज
जरी बादला का कपड़ा दीजे सोड पाथरना ओड़न दीजे
चटका की चाल दीजे पटका की मौत दीजे
ग्यारस को दिन दीजे
तीर्थ को वास दीजे
कार्तिक को मास दीजे
झालर की झणकार दीजे
चन्दन को काठ दीजे
म पुकारू अंत समय जब
श्री कृष्ण को काँध दिजे
नमो नमो हरि की पटरानी
नमोनमो तुलसी महारानी …..
जय माँ तुलसी🙏🙏🙏🙏

ऐस्ट्रो ज्योति दाधीच
,तीर्थ राज पुष्कर ,
राजस्थान।

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