पुष्कर और पुष्कर का मेला Part 1

dr. j k garg
प्रति वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को तीर्थराज पुष्कर में भव्य मेला भरता है और लाखों श्रदालु पवित्र पुष्कर में स्नान करते हैं |पुष्कर का पशु मेला भारत भर में मशहूर हैं | इस वर्ष पुष्कर मेला 11 नवम्बर 2019 को है |
पुष्कर
अजमेर और पुष्कर को अरावली पर्वत श्रृंखला का नाग पर्वत अलग करता है सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी की यज्ञस्थली और ऋषियों की तपस्या स्थली तीर्थगुरु पुष्कर नाग पहाड़ के बीच बसा हुआ है। पुष्कर मे अगस्तय, वामदेव, जमदाग्नि, भर्तृहरि इत्यादि ऋषियों के तपस्या स्थल के रूप में उनकी गुफाएँ आज भी नाग पहाड़ में हैं। पुष्कर, कुरुक्षेत्र, गया, हरिद्वार और प्रयाग को पंचतीर्थ कहा गया है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार तीर्थो के गुरु पुष्कर की महत्ता इससे ही स्पष्ट हो जाती है कि पुष्कर स्नान के बिना चारों धाम की यात्रा का पुण्य फल भी अधूरा रहता है। 52 घाटों में गऊघाट, वराहघाट,वीर गुर्जर घाट, ब्रह्मघाट, जयपुर घाट प्रमुख हैं। जयपुर घाट से सूर्यास्त का नजारा अत्यंत अद्भुत लगता है। विदेशी पर्यटकों को यह दृश्य बेहद भाता है। झील के बीचों बीच मनमोहक छतरी बनी हुई है। 2011 की जनगणना के अनुसार पुष्कर की जनसंख्या 21, 626 थी।

Dr J.K. Garg

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