गुरु नानक देवजी पार्ट 2

dr. j k garg
नानक देवजी ने समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए अनेक यात्राएं की थी | गुरु नानक जी का विवाह सन 1487 में माता सुलखनी से हुआ. उनके दो पुत्र थे जिनका नाम श्रीचन्द और लक्ष्मीचन्द था | गुरु नानक कहते थे कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हिंदू मुसलमान दोनों के लिए हैं | मूर्तिपुजा, बहुदेवोपासना को नानक जी अनावश्यक कहते थे हिंदु और मुसलमान दोनों पर इनके मत और दिल को छू लेनी वाली बातों का प्रभाव पड़ता था | ऐसा कहा जाता है कि नानकदेव जी को उनके पिता ने एक बार व्यापार करने के लिए 20 रुपये दिए और कहा “ इन 20 रुपये से सच्चा सौदा करके आओ” | नानक देव जी सौदा करने निकले. रास्ते में उन्हें साधु-संतों की मंडली मिली | नानकदेव जी साधु-संतों को 20 रुपये का भोजन करवा कर वापस लौट आए| पिताजी ने पूछा- क्या सौदा करके आए? उन्होंने कहा- ‘साधुओं को भोजन करवाया. यही तो सच्चा सौदा है | गुरु नानक जी का कहना था कि ईश्वर मनुष्य के दिल में बसता है, अगर हृदय में निर्दयता, नफरत, निंदा, क्रोध आदि विकार हैं तो ऐसे मैले हृदय में परमात्मा बैठने के लिए भी तैयार नहीं हो सकते हैं | गुरु नानक जीवन के अंतिम चरण में करतारपुर बस गए | 9 नवम्बर 2019 को करतारपुर कोरीडोर का उद्दघातन किया गया है| ५०० से अधिक श्रद्धालुओ ने नानक शिब के गुरुदुवारे में अपना माथा टेका | करतारपुर कोरिडोर के बन जानेसे भारत पाकिस्तान के रिश्ते मधुर होगें | नानक देवजी ने 25 सितंबर, 1539 को अपना शरीर त्याग दिया था | मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गये | नानकदेवजी ने कहा “ मोन धारण करके नाम जपो , क्योंकि इसी से मानसिक आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और आत्मिक तेज बढ़ता है | ईमानदारी मेहनत करो इससे मिली आमदनी ही सही है | जो मिले उसे साझा करों – नानक जी इसी सीख के मुताबिक सिख अपनी आमदनी का दसवां हिस्सा दान करते हैं “ गुरु नानक जंयती पूरे देश में कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है |
गुरु नानकदेव की बतायी गई शिक्षायें और बाते हम सभी का सदेव मार्गदर्शन करती है और भविष्य में भी मानव मात्र का मार्गदर्शन करती रहेगी | उनकी जयंती पर उनके श्री चरणों में कोटि कोटि नमन |

डा. जे. के. गर्ग

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