जन जन के दुलारे अटल बिहारी वाजपेयी पार्ट 3

dr. j k garg
अटलबिहारीजी राजनेता के साथ लेखक और कवि भी थे न्होंने अनेकों पुस्तके एवं काव्य सग्रह लिखें जिनमे मेरी इक्यावन कविताएँ, मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह), कैदी कविराय की कुण्डलियाँ, संसद में तीन दशक, अमर आग है, सेक्युलर वाद, राजनीति की रपटीली राहें,बिन्दु बिन्दु विचार आदि मुख्य है। अटलबिहारीजी को अनेकों पुरष्कार और सम्मानों से नवाजा गया जिनमें प्रमुख हैंफ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड , भारत रत्न , पद्म विभूष , लोकमान्य तिलक पुरस्कार), श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार, पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार आदि |

वाजपेयीजी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ था | अटलजी ने राजनीतिशास्त्र से प्रथम श्रेणी में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। एलएलबी की पढ़ाई को बीच में ही विराम देकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के काम में लग गए। भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से अटलजी भी प्रमुख नेताओं में थे | उन्होंने लम्बे समय तक पत्रकारिता करते हुए राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक के रूप में कार्य किया। अटलबिहारी ने अपना सार्वजनिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया | वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(एन.डी.ऐ) सरकार के पहले गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री थे । अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दोरान परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी की परवाह नहीं करते हुए राष्ट्र हित में 1998 में दुबारा परमाणु परीक्षण कर राजनेतिक परिपक्वता का परिचय दिया। स्मरणीय है कि उन्होंने इस परमाणु परीक्षण की अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की गुप्तचर एजेंसीयों को भनक तक नहीं लगने दी।
प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—-विभिन्न पुस्तके, मेरी डायरी के पन्ने आदि

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