स्वामी विवेकानंदजी के अनमोल मन्त्र जिनमें छुपा है खुशहाल जीवन जीने का रहस्य पार्ट 2

dr. j k garg
पढ़ने के लिए एकाग्रता जरूरी है वहीं एकाग्रता के लिए ध्यान जरूरी है । ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।

स्वयं में बहुत सी कमियों के बावजूद अगर में खुद स्वयं से प्रेम कर सकता हूं तो दुसरो में थोड़ी बहुत कमियों की वजह से उनसे घृणा कैसे कर सकता हूँ ?

बूरे संस्कारो को दबाने के लिए एकमात्र समाधान यही है कि लगातार पवित्र विचार करते रहे ।

सही मायनों में उस आदमी ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है जो आदमी किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता है |

वही जीते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं।

अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे या उनके काम आए तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा यह धन सिर्फ बुराई का एक ढेर और कूड़ा ही है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है |

एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

प्रस्तुतिकरण —-डॉ जे. के. गर्ग

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