सूर्य संवत्सर का सबसे बड़ा दिन मकर सक्रांति Part 1

dr. j k garg
ऋषि मुनियों ने सूर्य को जड चेतन की आत्मा माना है | भारतीय काल चक्र सूर्य की गति के मुताबिक ही चलता है | सूर्य का संक्रमन लगातार काल प्रवाह का परिचायक है | भारत में सोर संवत्सर को राष्ट्रिय मान्यता प्रदान की गई है वहीं सोर संवत्सर का सबसे बड़ा दिन मकर संक्रान्ति को माना गया है | संक्रांति का मतलब है सूर्य का एक राशी से दुसरी राशी में गमन करना | मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. इसी वजह से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है | पोराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करते हैं,वैसे तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य व शनि में शत्रुता बताई गई है लेकिन इस दिन पिता सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं तो इस दिन को पिता पुत्र के तालमेल के दिन के दिन व पिता पुत्र में नए संबंधो की शुरूआत के दिन के रूप में भी देखा गया है। पुराणों के अनुसार भगवान राम के पूर्वज व गंगा को धरती पर लाने वाले राजा भगीरथ ने इसी दिन अपने पूर्वजों का तिल से तर्पण किया था और तर्पण के बाद गंगा इसी दिन सागर में समा गई थी और इसीलिए इस दिन गंगासागर में मकर सक्रांति के दिन मेला भरता है।
इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों का संहार करके असुरो के सिर को मंदार पर्वत पर दबा कर युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी थी। इसलिए मकर संक्राति को बुराईयों को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा की शुरूआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल राशि में ये परिवर्तन 14 जनवरी को देर रात को हो रहा है, इसीलिए इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी |

डा जे. के. गर्ग

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