शहीद दिवस (Martyrs Day) पार्ट 1

dr. j k garg
सच्चाई तो यही है कि वो लोग जो वाकई इतिहास को बनाते हैं वहीं शहीद कहलाने के हकदार होते हैं | सच्चाई यही है कि ह्त्याचारी शासक के मरते ही उसका शासन भी खत्म हो जाता है, किन्तु दूसरी तरफ शहीद के मरते ही जनमानस के ह्रदय में उसका शासन प्रारम्भ हो जाता है। जिन महापुरुषों ने हिन्दुस्थान की आजादी और भारतवंशीयों के कल्याण एवं उत्थान हेतु अपने प्राणों की बलि दे दी थी उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिये हमारे मुल्क में शहीद दिवस बनाया जाता है | राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जन्म से तो बनिया थे लेकिन वो इंसानियत को ही अपना धर्म मानते थे। बापूजी अहिसां के पुजारी थे और अहिंसा को आजादी पाने के लिये सबसे अच्छा हथियार मानते थे। मन में सवाल उत्पन्न होता है कि भारत में 30 जनवरी को क्यों शहीद दिवस मनाया जाता है ? 30 जनवरी 1948 की शाम को जब बापूजी अपनी नियत प्राथना सभा में जा रहे थे तब हिन्दू चरमपन्थी नाथूराम गोड़से ने महात्मा गाँधी को गोली मारकर हत्या कर दी थी तभी से महात्मा गाँधी को श्रद्धंजलि देने के लिये हर वर्ष 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। प्रतिवर्ष 30 जनवरी को प्रातकाल 11 बजे सारे राष्ट्र में सायरन बजाया जाता है , तब अविलम्ब सारे नागरिक जहाँ कई भी वो हो 2 मिनट के लिये मौन रहकर शहीदों के प्रति कृतज्ञता प्रगट करते है । दो मिनट के बाद 11.02 बजे वापस सायरन बजता है और लोग अपना काम वापस प्रारम्भ कर देता है |

डॉ. जे. के. गर्ग

error: Content is protected !!