1. रविदास जी कहते है की सिर्फ जन्म लेने से कोई नीच नही बन जाता है लेकिन इन्सान के कर्म ही उसे नीच बनाते है
2. मन चंगा तो कठौती में गंगा |
यदि आपका मन और हृदय पवित्र है साक्षात् ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है
3. जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात
4. रैदास कहै जाकै हदै, रहे रैन दिन राम, सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम
5. ब्राह्मण मत पूजिए जो हो वे गुणहीन पूजिए चरण चंडाल के जो होवे गुण प्रवीन |
6. मन ही पूजा मन ही धूप ,मन ही सेऊँ सहज सरूप।
7. प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी॥ प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा॥
8. प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती॥ प्रभु जी, तुम मोती, हम धागा जैसे सोनहिं मिलत सोहागा॥
9. प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै ‘रैदासा’॥
संकलनकर्ता एवं प्रस्तुतिकरण—–डा. जे. के.गर्ग