(सामाजिक धार्मिक सद्दभाव एवं सामाजिक क्रांति का माध्यम—रक्षा बंधन) पार्ट 2
ऐसा भी कहा जाता है कि यूनान के बादशाह सिकन्दर की पत्नी ने राजा पोरष को राखी बाँधकर अपना मुँह बोला भाई बनाया और युद्ध के समय राजा पोरषसे सिकन्दर को न मारने का वचन लिया। राजा पोरष ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया।
राजपूत जब भी युद्ध करने हेतु युद्ध स्थल पर जाते थे तब राजपूत महिलाएँ अपने पतियों के ललाट पर कुमकुम से तिलक लगाने के साथ साथ उनके हाथ की कलाई पर रेशमी धागा भी बाँधती थी क्योंकि उनका विश्वास था कि रेशम का धागा उनके पति को युद्ध में विजयश्री दिलवायेगा |
डा. जे. के. गर्ग