प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू के जीवन के अनुकरणीय प्रेरणादायक संस्मरण

राजेन्द्र बाबू की दिनचर्या पर गांधीजी की छाप

dr. j k garg
समाज के बदलने से पहले अपने को बदलने का साहस होना चाहिये। “यह बात सच थी,” बापूजी की इस बात को राजेन्द्र बाबू ने अंतर्मन से स्वीकार किया वे कहते थे कि “मैं ब्राह्मण के अलावा किसी का छुआ भोजन नहीं खाता था। चम्पारन में गांधीजी ने उन्हें अपने पुराने विचारों को छोड़ देने के लिये कहा। आख़िरकार उन्होंने समझाया कि जब वे साथ-साथ एक ध्येय के लेये कार्य करते हैं तो उन सबकी केवल एक जाति होती है अर्थात वे सब साथी कार्यकर्ता हैं |

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