मकर सक्रांति का त्यौंहार सम्पूर्ण सृष्टि के लिए ऊर्जा के स्रोत भगवान सूर्य की अराधना के रूप में मनाया जाता है | मकर संक्रान्ति के दिन यज्ञमें दिये हव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं। इसी मार्ग से पुण्यात्माएँ शरीर छोड़कर स्वर्ग आदि लोकों में प्रवेश करती हैं। इसलिए यह आलोक का अवसर माना जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के मुताबिक इस दिन पुण्य,दान,जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्त्व है और सौ गुणा फलदायी होकर प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य के उत्तरायण में आने पर सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पूरी तरह से पड़ती है और यह धरा प्रकाशमय हो जाती है।
मकर संक्रांति के दिन भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों यथा प्रयाग,हरिद्वार,वाराणसी,कुरुक्षेत्र,गंगासागर आदि में पवित्र नदियों गंगा,यमुना आदि में करोडों लोग डुबकी लगा कर स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि वरुण देवता इन दिनों में यहां आते हैं , यह भी माना जाता है कि उत्तरायण में देवता मनुष्य द्वारा किए गए हवन,यज्ञ आदि को शीघ्रता से ग्रहण करते हैं।