संत गुरु रविदास Part 1

dr. j k garg
गुरु रविदास का मानना था कि समाज में सामाजिक स्वतंत्रता और सामाजिक समरसता का होना सबसे जरुरी है। उन्होंने अपने आचरण तथा व्यवहार से यह सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य अपने जन्म तथा व्यवसाय के आधार पर महान, छोटा अथवा बड़ा नहीं होता है। गुरु रविदास ने वैश्विक बंधुता, सहिष्णुता, पड़ोसियों के लिये प्यार और देशप्रेम का पाठ पढ़ाया । गुरु रविदासजी मानते थे कि “विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं “ । गुरु रविदासजी ने अपने समकालीन समाज में छुहाछूत,जाति प्रथा, लिंग भेद एवं सामाजिक भेदभाव को दूर करने के लिये अथक प्रयास किये थे | उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि “ईश्वर ने इंसान बनाया है ना कि इंसान ने ईश्वर बनाया है” अर्थात इस धरती पर सभी को भगवान ने बनाया है और सभी के अधिकार समान है। रविदास जी कहते है की सिर्फ जन्म लेने से कोई नीच नही बन जाता है लेकिन इन्सान के कर्म ही उसे नीच बनाते है | वे मानते थे कि ब्राह्मण मत पूजिए जो हो वे गुणहीन पूजिए चरण चंडाल के जो होवे गुण प्रवीन | मन ही पूजा मन ही धूप ,मन ही सेऊँ सहज सरूप। संत रविदासजी कहा करते थे कि “मन चंगा तो कठौती में गंगा | उनके मुताबिक यदि आपका मन और हृदय पवित्र है साक्षात् ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है |

संकलनकर्ता एवं प्रस्तुतिकरण—- डा. जे. के. गर्ग

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