भोले नाथ को सांसारिक होते हुये भी श्मशान का निवासी बोला जाता है, इसके पीछे लाइफ मैनेजमेंट का महत्वपूर्ण रहस्य छिपा है। जानिये कैसे ? सच्चाई में एक तरफ जहाँ संसार मोह-माया का प्रतीक है वहीं दुसरी तरफ श्मशान वैराग्य का प्रतीक है । भगवान शिव कहते हैं कि आदमी को संसार में रहते हुए अपने कर्तव्य पूरे करने चाहिये वहीं साथ साथ मोह-माया से दूर भी रहना चाहिये। क्योंकि शरीर और संसार नश्वर है। एक न एक दिन यह सब कुछ नष्ट होने वाला है। इसलिए संसार में रहते हुए भी किसी से मोह नहीं रखते हुए अपने कर्तव्य पूरे करने के साथ साथ एक वैरागी की तरह जीना चाहिये।
जानिये शिवलिंग मंदिरों में बाहर क्यों होता है ?
निसंदेह भोले नाथ जन साधारण के देवता हैं, इसीलिए वों वहां रहते हैं जहाँ छोटे बड़े, जवान बुजुर्ग आसानी से पहुंच सके | इसी मान्यता के कारण शिवलिंग को मन्दिरों में बाहर ही स्थापित किया जाता है जिससे बच्चे बूढे जवान जो भी जाए छूकर, गले मिल कर या फिर पैरों में पड़कर अपना दुखड़ा सुना कर हल्के हो सकते हैं। | इसी वजह से शिवजी अकेले ही वो देव हैं जो गर्भ गृह में भक्तों को दूर से ही दर्शन देते हैं | शिवजी को भोग लगाने और अर्पण करने के लिए कुछ भी नहीं हो तो भक्त उन्हें पत्ता, फूल, या अंजलि भर के भोले नाथ को खुश कर सकता और उनकी पूजा अर्चना कर सकता है |