सद्दभाव के पर्व होली को मनाने के तरीके अनेक फिर भी सन्देश एक Part 1

dr. j k garg
तामसी आदतों का मतलब है कुसंस्कार यानि ईर्ष्या,अनाचार,दुर्भावना एवं, अभिमान, असहिष्णुता,अविश्वास आदि इन्हीं सारी आदतों को होली की दिव्य अग्नि में भस्म कर देना ही सच्चा ‘होलिका दहन’ है। होलिका दहन का मतलब है कि आप की मजबूत सकारात्मक इच्छा शक्ति ही आपको सारी बुराईयों से बचा सकती है | होली खेलने की सार्थकता तभी होगी जब हम परमात्मा में श्रदा रखते हुए सात्विक विचार, सकारात्मकता,स्नेह, प्रेम, सोहार्द, सहिष्णुता,सह्रदयता और करुणा के रंग में अपनी अंतरात्मा को रँग लेगें |

मथुरा व्रन्दावन की की होली
मथुरा व्रन्दावन में होली को कृष्ण और राधा के पवित्र प्रेम से जोड़ कर देखा जाता है | होली का दिन शुरू होते ही नंदगाँव के हुरियारों की टोलियाँ और कीर्तन मंडलियाँ बरसाने पहुँचने लगती हैं |‘कान्हा बरसाने में आई जइयो बुलाए गई राधा प्यारी’ ‘फाग खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर’और‘उड़त गुलाल लाल भए बदरा’जैसे गीतों की मस्ती से पूरा माहौल झूम उठता है | इस दौरान भाँग-ठंढई का ख़ूब इंतज़ाम होता है | बरसाने में टेसू के फूलों के विशालकाय भगोने तैयार रहते हैं | दोपहर तक घमासान लठमार होली का समाँ बंध चुका होता है | मथुरा जिले की छाता तहसील में फालैन गांव का यह क्षेत्र भक्त प्रह्लाद का क्षेत्र कहलाता है और यहां पण्डा होलिका दहन के बाद अंगारों पर चलता है।

Dr J.K. Garg

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