प्रधानमंत्री नेहरू जी ने ऐसी शक्तिशाली संस्थाओं का निर्माण,जिनसे भारत में प्रजातांत्रिक व्यवस्था स्थायी हो सके। इन संस्थाओं में संसद एवं विधानसभाओं व पूर्ण स्वतंत्र न्यायपालिका शामिल हैं।
प्रजातंत्र को जिंदा रखने के लिये निश्चित अवधि के बाद चुनावों की व्यवस्था और ऐसे संवैधानिक प्रावधान जिनसे भारतीय प्रजातंत्र धर्मनिरपेक्ष बना रहे|नेहरू जी ने साम्प्रदायिकता का विरोध करते हुए धर्मनिरपेक्षता पर बल दिया। उनके व्यक्तिगत प्रयास से ही भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था। उन्होंने मिश्रित अर्थव्यवस्था समाज की रचना के लिए अपनी प्रतिबद्धता घोषित करते रहे| वास्तविकता तो यही है कि नेहरू का विजन मॉडल राज्य की उस विकासवादी प्रतिबद्धता की घोषणा ही है,जो शोषण-विहीन समाज-रचना की बुनियादी शर्त है|
बिजली का उत्पादन पूरी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र में रखा गया। इसी तरह इस्पात,बिजली के भारी उपकरणों के कारखाने,रक्षा उद्योग,एल्यूमिनियम एवं परमाणु ऊर्जा भी सार्वजनिक क्षेत्र में रखे गए। देश में तेल की खोज की गई और पेट्रोलियम रिफाइनरी व एलपीजी बॉटलिंग का काम भी केवल सार्वजनिक क्षेत्र में रखे गये।