समृद्धि व सौभाग्य बढ़ाने वाली माँ मंगला गौरी का व्रत आज

राजेन्द्र गुप्ता
श्रद्धालु आज मंगला गौरी व्रत रखेंगे। श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को मां गौरी की विशेष पूजा की जाती है। यह व्रत मंगलवार को करने के कारण इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इस दिन मां गौरी की विधि विधान से पूजा कर उन्हें सुहाग की सामग्री भेंट की जाती है। पूरा दिन व्रत रखते हुए मां गौरी की प्रतिमा को फलों और मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाकर 16 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन करवाया जाता है और यथाशक्ति उन्हें उपहार भेंट किए जाते हैं।

मंगला गौरी स्तोत्र के लाभ
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भगवान शिव और माँ गौरी की विशेष कृपा पाने के लिए यह स्तोत्र का पाठ किया जाता है |

इस स्तोत्र का पाठ विशेष सावन के मंगलवार को माँ गौरी की उपासना के लिए किया जाता है | धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।

उनकी इसी तपस्या व कठोर साधना को आधार बनाकर महिलाएं यह व्रत, स्तुति और स्तोत्र का पाठ करके माता से अपने जीवनसाथी की दीर्घायु का आशीर्वाद हासिल करती हैं।

इस विशेष पूजा से जीवन में हर प्रकार का मंगल होता है, इसलिए इसे मंगला गौरी स्तोत्र या पाठ भी कहा जाता है |

सावन के मंगलवार को माँ गौरी की उपासना से विवाह के लिए उपयुक्त बर पाने के लिए और वैवाहिक जीवन की हर विग्न वाधा दूर करने के लिए माँ मंगला गौरी स्तोत्र का पाठ किया जाता है |

माँ की कृपा से साधना करने वाली स्त्री को सुख-शांति, धन-समृद्धि, उत्त्म संतान और अखण्ड़ सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

विशेषकर अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष की समस्या है तो माता मंगला गौरी का व्रत और पाठ करके आपको अत्यधिक लाभ होगा |

मंगला गौरी स्तोत्रं का नित्य पाठ करने से भी साधक को मनवांछित फल प्राप्त होता है। माँ अपने भक्त की सदैव हर मुशकिल से रक्षा करती हैं।

सावन में मंगला गौरी व्रत के साथ मंगला गौरी स्तोत्रं का पाठ करने से साधक को माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उस पर माँ शीघ्र प्रसन्न होकर उसके सौभाग्य के द्वार खोल देती है।

मंगला गौरी व्रत ऐसा है जो पति की लंबी उम्र के साथ-साथ सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी रखा जाता है

यह व्रत सावन महीने के दौरान सोमवार के दूसरे दिन यानी मंगलवार को रखा जाता है, इसलिए इसका नाम मंगला गौरी व्रत पड़ गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को रखने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

मंगला गौरी स्तोत्र
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ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके ।

हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके ॥

हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके ।

शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके ॥

मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले ।

सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये ॥

पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते ।

पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम् ॥

मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।

संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् ॥

देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।

प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे ॥

तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम् ।

वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने ॥

मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले ।

॥ इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं ॥

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