भगवान कृष्ण की उपासना के पर्व जन्माष्टमी पर कृष्णमय हो कर उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में पार्ट 2

j k garg
इस जन्माष्टमी क्रिस की उपासना करते हुये उन्हें अपने जीवन मे उतारें | कर्तव्य परायणता की यही शिक्षा श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में गीता के माध्यम से अर्जुन को दी थी, जो युद्ध भूमी में अपने स्वजनों की संभावित म्रत्यु के भय से आहत होकर अपने क्षत्रिय धर्म एवं कर्तव्य से मुहँ मोड़ कर युद्ध नहीं करना चाह रहें थे। निसंदेह गोवर्धन कान्हा के सम्पूर्ण जीवन काल में कर्म की ही प्रधानता रही थी । अपने सगे मामा कंस का वध कर कृष्ण ने यह संदेश दिया है कि मानव जीवन में जीवन के अन्दर रिश्तों से बड़ा कर्तव्य होता है |

वे भगवान श्रीकृष्ण ही थे, जिन्होंने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से कायरता से वीरता, विषाद से प्रसाद की ओर जाने का दिव्य संदेश दिया था। भगवान क्रष्ण ने हमेशा कर्तव्य परायणता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी थी | भगवान श्रीकृष्ण ही वे व्यक्ति थे, जिन्होंने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से कायरता से वीरता, विषाद से प्रसाद की ओर जाने का दिव्य संदेश दिया था।

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