साम्प्रदायिक सद्भाव की साक्षात मूर्ति लोकदेवता बाबा रामदेव—रामसापीर Part 2

j k garg
भगवान ने यह भी कहा कि जब में अवतरित होउगां तब उस रात आपके राज्य के जितने भी मंदिर है उसमें घंटियां अपने आप बजने लग जायेगी,महल में जो भी पानी होगा वह दूध में बदल जाएगा तथा मुख्य द्वार से जन्म स्थान तक कुमकुम के पैर नजर आयेंगे वहीं आकाशवाणी भी सुनाई देगी और में रामदेव जी के नाम से प्रसिद्ध हो जाउँगा। कहा जाता है कि श्री रामदेव जी के जन्म लेते ही ऐसी सभी चमत्कारिक घटनाएं घटित हुई |

समय के साथ-साथ बाबा रामदेव जी की प्रसिद्धि भारतवर्ष के साथ दुनिया के अनेकों देशों में फेल गई। बाबा रामदेव जी से प्रभावित होकर उस समय के हजारों हिन्दू जो मुसलमान बन गये थे पुनः हिन्दू धर्म में परिवर्तित होने लगे | इन स्थितियों को देखते कई मुसलमानों के 5 प्रमुख पीर मुल्तान से रुणिचा में बाबा रामदेव जी की परीक्षा लेने आए। मुल्तान के पांचो पीरों का रामदेव जी ने दिल खोलकर स्वागत किया । भोजन के समय पीर ने बाबा रामदेवजी से कहा कि वे केवल अपने स्वयं के बर्तन में खाना खाते हैं जो मुल्तान में छोड़ आये हैं। इस पर रामदेव जी ने अपना दाहिना हाथ बढ़ाया और उनके सभी बर्तन वहाँ आ गए। इसे देखकर मुल्तान के सभी 5 पीर उनकी प्रतिभा और चमत्कार से कायल होकर नतमस्तक हो गये प्रभावित हुये और उन्होंने रामदेव जी को आशीर्वाद दिया और घोषणा की कि वह सारी दुनिया में रामसापीर, रामपुरी या हिंदपीर के नाम से जाने जाएंगे। तब से रामदेव जी को भी रामसापीर के रूप में भी जाने लगा।

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