साम्प्रदायिक सद्भाव की साक्षात मूर्ति लोकदेवता बाबा रामदेव—रामसापीर Part 6

रामदेव जी के अनोखे चमत्कार
बोहिता को परचा व परचा बाबड़ी

j k garg
रामदेव जी ने सेठ बोहिताराज से वादा किया कि जब कभी तुम पर कोई संकट आयेगा तब मैं तुम्हारी मदद करूगां | सेठ बोहितराज ने विदेश में व्यापार हेतु गये अपार धन- सम्पदा अर्जित की उन्होंने रामदेव जी के लिए हीरों का बहुमूल्य हार भी खरीद कर अपने नौकरों को आदेश दिया कि हीरे जवाहरात नाव में भर दें तभी देव योग से भयंकर तूफान आया से नाव का पैदा फट गया है जिससे डूबने लगी, सभी अपनी मौत को सामने देख कर अपने सारे देवी देवताओं से अपने जीवन को बचाने की प्रार्थना करने लगे किन्तु किसी देवता ने मदद नहीं की | यकायक बोहितराज रामदेव जी से जीवन की भीख मांगते हुए मदद के लिये पुकारने लगे। उधर श्री रामदेव जी रूणिचा में अपने भाई वीरमदेव जी के साथ बैठे थे | रामदेवजी ने बोहिताराज की पुकार सुनी। भगवान रामदेव जी ने अपनी भुजा का फेलाव किया और रोहित राज की डूबती नाव को खीच कर किनारे पर ले आये। यह काम इतनी शीघ्रता से हुआ कि पास में बैठे भाई वीरमदेव को भी पता तक नहीं चलने दिया | नव को खीच कर लेन से उनका हाथ समुद्र के पानी से भीग गया गए सेठ रोहित राज अपनी नाव को सही सलामत किनारे पर पाकर खुशी से झूम कर बोले कि जिसकी रक्षा करने वाले जन जन के देवता रामसापीर हैं उसका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता। गांव पहुंचकर सेठ दोनों हाथ जोड़ कर बाबा की सेवा में उन्क्के दरबार में जाकर बोला कि मैं धन दोलत से लालची बन गया एवँ आपको भूल गया था मेरे मुझे अपने अपराध के लिये क्षमा करें और आदेश करें कि मैं इन हीरों जवाहरात को कहाँ और कैसे खर्च करूँ। रामदेव जी उसे तुरंत आदेश दिया इस डोलत से रूणिचा में एक बावड़ी खुदवा दो | भवन की दया से बावड़ी का पानी मीठा होगा तथा लोग इसे परचा बावड़ी के नाम से पुकारेंगे व इस बावडी का पानी गंगा जल के समान पवित्र होगा। रामदेवरा मे आज भी यह अद्भुत चमत्कारिक बावड़ी मौजूद है

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