दुर्गा अष्टमी आज

राजेन्द्र गुप्ता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शारदीय नवरात्रि देवी दुर्गा की आराधना का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि में अष्टमी तिथि का महत्व-
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नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी माता का पूजन किया जाता है। मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसके कारण इनका रंग काला पड़ गया था। भगवान शिव के आशीर्वाद से मां गौर वर्ण की हो गई और महगौरी कहलाई। इनके पूजन से विवाह की बाधाएं भी दूर होती हैं। मां महागौरी की पूजा-आराधना करने से पूर्वसंचित पापकर्म भी नष्ट हो जाते हैं। इस दिन विधिवत पूजन व व्रत करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग मां महागौरी का पूजन करने के साथ ही अपने घरों में पंडित जी को बुलाकर हवन अनुष्ठान करवाते हैं। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

पूजन विधि
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अष्टमी तिथि को ऐसे करें महागौरी का पूजन-
इस दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद मां महागौरी के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें।
अब मां का तिलक करें और उन्हें सफेद पुष्प, फल आदि अर्पित करें।
एक उपले के टुकड़े की अंगार पर लौंग, कपूर देशी, घी आदि से अग्यारी करें।
विधिवत पूजन के बाद मां की आरती उतारें और वहीं बैठकर मां का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करें।
यदि आप पूरी नवरात्रि के व्रत रखते हैं तो अष्टमी को हवन करवाना चाहिए।

शारदीय नवरात्रि अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
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शारदीय नवरात्रि 2021 अष्टमी तिथि आरंभ: 12 अक्टूबर 2021, मंगलवार, 09:47Pm से
अष्टमी तिथि समाप्ति: 13 अक्टूबर, 2021, बुधवार, 08:07Pm

नवरात्रि की पौराणिक कथा
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धार्मिक ग्रंथो के अनुसार नवरात्रि को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था, जो ब्रम्हा जी का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपनी कठिन तपस्या से ब्रम्हा जी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया था, कि उसे कोई भी देवी देवता या पृथ्वी पर रहने वाला कोई भी मनुष्य नहीं मार सकता। वरदान प्राप्त करने के बाद वह अत्यंत निर्दयी और घमंडी हो गया और तीनों लोकों में आतंक मचाने लगा। उसने देवताओं पर आक्रमण करना शुरु कर दिया और उन्हें युद्ध में हराकर उनके क्षेत्रों पर कब्जा करने लगा।
सभी देवी देवता महिषासुर के आतंक से परेशान होकर ब्रम्हा, विष्णु और भगवान शिव के शरण में पहुंचे। देवी देवताओं को संकट में देख ब्रम्हा, विष्णु और महेश जी ने अपने तेज प्रकाश से मां दुर्गा को जन्म दिया। तथा सभी देवी देवताओं ने मिलकर मां दुर्गा को सभी प्रकार के अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित किया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच दस दिनों तक भीषण युद्ध हुआ, दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का युद्ध कर दिया।

दूसरी पौराणिक कथा
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वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले रामेश्वरम में नौ दिनों तक मां दुर्गा की अराधना की थी। नौ दिनों की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने भगवान राम को विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था। नौ दिनों तक रावण से भीषण युद्ध के बाद भगवान राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय हासिल कर लिया था। इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
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