सादगी सज्जनता की प्रति मूर्ति प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू एवं उनके जीवन के प्रेरणादायक संस्मरण पार्ट 4

प्रिंसिपल ने एफ.ए. में उत्तीर्ण छात्रों के नाम लिए तो राजेन्द्र प्रसाद का नाम उस सूची में नहीं था।

dr. j k garg
एफ.ए. में उत्तीर्ण छात्रों के नाम लिए गये तो राजेन्द्र प्रसाद का नाम उस सूची में नहीं था | राजेन्द्र प्रसाद एक मेधावी छात्र थे उन्हें अपने अनुत्तीर्ण होने पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उनको अपनी एफ.ए की परीक्षा में सर्वोच्च अंकों के साथ उत्तीर्ण होने का पूरा भरोसा था, इसलिए उन्होंने खड़े होकर प्राचार्य से कहा कि वे फेल नहीं हो सकते हैं इसलिए आप परीक्षा में हुए उत्तीर्ण विद्यार्थियों की सूची को एक बार पुनः देख लें | प्रिंसिपल ने क्रोधित होकर राजेन्द्र प्रसाद से कहा कि तुम फेल हो गए हों | अत: उन्हें इस मामले में तर्क और बहस नहीं करना चाहिए। राजेंद्र का हृदय धक-धक करने लगा और वे हकलाकर घबराते हुए दुबारा बोले ‘लेकिन, लेकिन सर —’ क्रोधित प्रिंसिपल ने कहा, ‘पाँच रुपये ज़ुर्माना’ राजेन्द्र प्रसाद साहस कर दोबारा बोले तो प्रिंसिपल चिल्लाये और बोले ‘दस रुपया ज़ुर्माना’| राजेन्द्र प्रसाद बहुत घबरा गए। अगले कुछ क्षणों में ज़ुर्माना बढ़कर 25 रुपये तक पहुँच गया। एकाएक हैड क्लर्क ने राजेंद्र को पीछे से बैठ जाने का इशारा किया और वे प्रिंसिपल से बोले कि सर एक ग़लती हो गई है, वास्तव में राजेन्द्र प्रसाद तो परीक्षा में प्रथम आए हैं। ऐसा सुनकर प्रिंसिपल शर्मिंदा हो गये और उन्होंने राजेन्द्र प्रसाद की छात्रवृत्ति दो वर्ष के लिए बढ़ाकर 50 रुपया प्रति मास कर दी गई। उसके बाद स्नातक की परीक्षा में भी उन्हें सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ। इस घटना के बाद राजेन्द्र प्रसाद ने यह जान लिया था कि आदमी को अपना संकोच को दूर कर आत्मविश्वासी बनना चाहिए।

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