ऋतुओं का राजा बसंत और बसंत का पर्वबसंत पंचमी

j k garg
खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक ऋतूचक्र का प्रमुख कारण पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों और परिक्रमा लगाना है|इसके अलावा पृथ्वी अपने घूर्णन अक्ष पर 66.5अक्ष का कोण बनाकर एक तरफ झुकी हुई है|जबप्रथ्वी सूर्य के चारों और चक्कर लगाती है तो सूर्य की तरफ प्रथ्वी का यह झूकावअलग अलग कोण पर होता है जिससे सूर्य की रौशनी का प्रभाव अलग अलग भागों पर अलग अलगहोता है|इसी के फलस्वरूप ऋतू चक्रका निर्माण होता है| भारत के अंदरनिर्विवाद रूप से छह प्रकार की ऋतुएँ होती है जिसका समयचक्र दो मास का होता है |वसंत,ग्रीष्म हेमंत वर्षा शिशिरशीत या सर्दी | प्रतेयक ऋतू का समय चक्र दो महीने का होता है |बसंत को समस्त ऋतुओं का सम्राट कहते हैं क्योंकिइस समय मौसम सबसे सुहाना होता है| इसमौसम में न तो ज्यादा सर्दी होती है, नज्यादा गर्मी, और न हीमौसम में किसी प्रकार की नमी होतीहै|माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी से बसंत ऋतू चालूहोती है इसलिए भारत मेंमाघ शुक्ला पंचमी कोबसंत पंचमी के रूप में पर्व के समान मनाया जाता है |इस ऋतु में गुड़ी पड़वा, होली, रामनवमी और हनुमान जयंती,वैशाखी ,परशुराम जयंती अक्षय तृतीया हिन्दू त्यौहार आते हैं |गीर्ष्मऋतू वैशाख के शुक्ल पक्ष के मध्य से शुरू होकर जयेष्ट आषाढ़ के महीने तक रहती है| वर्षाऋतू में उत्तर और पश्चिम भारत में भारी वरिश देखने को मिलती है|शरदऋतू में मौसम में धीरे धीरे गर्मी ख़त्म सर्दियोंसे पहले का समय हेमंत ऋतू कहलाता है| इस ऋतूमें मौसम काफी सुहावना होता है| धार्मिकमान्यताओं के मुताबिक बसंत पंचमी को ही विद्या एवं बुद्धिकी देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋतुराज बसंत केसाथ धरती पर कामदेव और उनकी पत्नी देवी रति आते हैं और सभी में प्रेम और काम भावनाजागृत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन कामदेव और देवी रति कीपूजा करने से पति-पत्नी के प्यार में वृद्धि होती है और दोनों का रिश्ता मजबूत होताहै। मान्यताओं के अनुसार कामदेव प्राणियों के अंदर प्रेम भावना जागृत करते हैंवहीं देवी रति श्रृंगार करने की इच्छा को बढ़ाती हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, कामदेव के धनुष से निकला बाणसीधा दिल पर लगता है। इस बाण के लगने से दिल प्रेम की भावना से भर जाता है।इसीलिये बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के साथ-साथ भगवान श्री हरि विष्णु, कामदेव और रति का पूजन भीहोता है | बसंतपंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करके उनसे जीवन में विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान प्राप्त कावरदान मांगा जाता है | धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने जीवो औरमनुष्यों की रचना भी इसी दी को की थी | ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करके जब उसे देखने लगे तोउन्हें प्रथ्वी पर चारों तरफ सुनसान निर्जन वातावरण दिखाई दिया जिससे प्रजापतिखिन्न और उदास हो गये | ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी की आज्ञा अनुसार अपने कमंडल सेपृथ्वी पर जल छिडका धरती पर गिरने वाले जल से वहां हर जगह पर कंपन होने लगता है औरएक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी स्त्री प्रकट हुयी उस देवीके एक हाथ मेंवीणा और दुसरे हाथ में वर मुद्रा थी बाकी अन्य हाथो में पुस्तक और माला थी | ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणाबजाने का अनुरोध किया देवी के वीणा बजाने के साथ ही संसार के सभी जीव-जंतुओ कोवाणी प्राप्त को गयी | उसी क्षण ब्रम्हाजी ने उस स्त्री को “सरस्वती” कहा और सरस्वती को मधुर वाणीके साथ-साथ विद्याऔर बुद्धि भी प्रदान की | भगवान राम भी वसंत पंचमी केदिन शबरी के आश्रम पर आये एवं शबरी के झूटे बैर भी राम ने प्रेम पूर्वक खाये थे | किंवदंतीयो के मुताबिक सूफीसंत चिश्ती निजामुद्दीन औलिया अपने जवान भतीजे की मृत्यु से अत्यंत दुखी हो गये थे| मशहूर शायर अमीर खुसरो नेवसंत पंचमी के दिन कुछ औरतों को पीले कपडे पहन कर पीले फूल ले जाते देखा तो खुद भीपीले कपडे पहन कर पीले फूल लेकर चिश्ती साहब के पास पहुँचे| उन्हें देख कर चिश्ती साहब केचहरे पर हँसी आ गयी| तभी से दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया की दरगाह और चिश्ती समूह की अन्य सभीदरगाहों पर वसंत उत्सव को मनाया जाने लगा| वैज्ञानिक और ज्योतिष शास्त्रके अनुसार बसंत ऋतु शरद ऋतु के ठंड से शीतल हुई पृथ्वी की अग्नि ज्वाला, मनुष्य के अंत:करण की अग्निएवं सूर्य देव के अग्नि के संतुलन का यह काल होता है। बसंत ऋतु ही वो समय है जहांप्रकृति पुरे दो महीने तक वातावरण को प्राकृतिक रूप से वातानुकूलित बनाकर संपूर्णप्राणियों को स्वस्थ जीने का मार्ग प्रदान करती है। साहित्यकारों के लिए वसंतप्रकृति के सौन्दर्य और प्रणय के भावों की अभिव्यक्ति का अवसर है तो वीरों के लिएशौर्य के उत्कर्ष की प्रेरणा है मां शारदा का प्राचीनतम मंदिर पकिस्तान अधिकृतकश्मीर में मुज़्ज़फ़राबाद के निकट पवित्र कृष्ण-गंगा नदी के तट पर स्थित है। पौराणिकमान्यता है कि स्वयं ब्रह्मा जी ने इस मंदिर का निर्माण कर मां शारदा को वहांस्थापित किया था इसीलिए उस मंदिर को ही मां शारदा का प्राकट्य स्थल माना जाता है।आदि गुरु शंकराचार्य ने इसी शारदा पीठ में मां शारदा के दर्शन किए थे। पंजाब औरहरियाणा में बसंत पंचमी के दिन है.लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान सेआशीर्वाद लेने के लिये गुरुद्वारे या मंदिर जाते हैं | बड़े और बच्चे सभी पतंगउड़ाते हैं | लोकगीत गाते और नाच गाना करके आनन्द मनाते हैं | उत्तर प्रदेश और राजस्थान मेंदेवी सरस्वती की पूजा की जाती तथा पतंगबाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता हैं |राजस्थान में लोग चमेली कीमाला पहनते हैं | उत्तर प्रदेश में कई भक्त बसंत पंचमी पर भगवान कृष्ण की पूजा करते हुएकेसर चावल चढ़ाते हैं. इस दिन पीले गेंदे से घर और प्रवेश द्वार सजाए जाते हैं | पश्चिम बंगाल के कई शहरों औरबिहार में देवी सरस्वती की मनमोहक आकर्षक मूर्ति बनाकर विशाल पंडाल बना कर देवीमां की पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं देवी मां को मीठे पीले चावल और बूंदी केलड्डू चढ़ाते हैं | उत्तराखंड के लोग फूल, पत्ते और पलाश की लकड़ी चढ़ाकर देवी सरस्वती की पूजा करते हैंपीले वस्त्र धारण करते हैं, माथे पर पीले रंग का तिलक लगाते हैं और पीले रुमाल काइस्तेमाल करते हैं | पतंग उड़ाते हैं और केसर हलवा खाते हैं | गोकुल और वृंदावन में भी बसंतउत्सव धूमधाम और नाच गाने के साथ मनाया जाता है |ब्रज भूमी में बसंत पंचमी कोरास नृत्य हर्षोल्लास के साथ किया जाता है मान्यताओं के मुताबिक भगवान कृष्ण नेबसंत पंचमी को ही रास किया था | सनातनधर्मी लोगों के लिये बसंत पंचमी महत्वपूर्ण पर्व है | अन्नदाता किसानों के लिये भीयह एक प्रमुख पर्व है | सनातनधर्मी इस पर्व को संगीत, ज्ञान, कला, विद्या, वाणी और ज्ञान की देवीसरस्वती के समर्पण के दिन के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं | बसंत पंचमी के दिनों मेंसरसों के खेत लहलहा उठते हैं इसीलिए लोग इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं | सम्पूर्ण भारत में माघ शुक्लपंचमी को “वसंतपंचमी” उत्सवमनाया जाता है।बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु प्रारंभ होती है | इसे “श्री पंचमी”, ऋषि पंचमी, मदनोत्सव, वागीश्वरी जयंती और “सरस्वती पूजा का उत्सव” भी कहा जाता है। वसंत पंचमीके दिन ही होलिका दहन स्थान का पूजन किया जाता है और होली में जलाने के लिए लकड़ीऔर गोबर के कंडे आदि एकत्र करना शुरू कर देते हैं। इस दिन से होली तक 40 दिन फाग गायन यानी होली केगीत गाए जाते हैं। प्रकृति की अनुकम्पा से हमारे भारत में ही नियमित रूप से छःऋतुएँ होती है | योगीराजक्रष्ण ने कहा था में ऋतुओं मे वसंत ऋतु हूँ मुझे वसंत ऋतु सबसे अधिक प्रिय है | इसीलिए इन छः ऋतुओं में वसंतऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इसे ऋतुराज या मधुमास भी कहते हैं। “वसंत पंचमी” प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य, श्रृंगार और संगीत की मनमोहकऋतु यानी ऋतुराज के आगमन की सन्देश वाहक है। वसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु कीविदाई के साथ पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होने लगता है। प्रकृतिभी नवयौवना की भांति श्रृंगार करके इठलाने लगती है। पेड़ों पर नई कोपलें, रंग-बिरंगे फूलों से भरीबागों की क्यारियों से निकलती भीनी सुगंध, पक्षियों के कलरव और पुष्पोंपर भंवरों की गुंजार से वातावरण में मादकता छाने लगती है। कोयल कूक-कूक के बावरीहोने लगती हैं। बसंत का वर्णन मेरी स्वजन कविता अग्रवाल ने इस प्रकार किया है :-उर्वी ने किया अनुपम श्रृंगार फैली हरीतिमा दिग दिगंत | पुष्पों से सजे तोरण द्वारकोयलिया गाए राग मल्हार | शिशिर का अब हुआ अंत देखो आए ऋतुराज बसंत ।ओढ़ चुनरिया पीलीपीली महक रही वो भीनी भीनी | खुशियाँ छाई चहुँ ओर अनंत देखो आए ऋतुराज बसंत। बसंत के अंदरश्रृंगार अपने यौवन पर पहुंच जाता है | इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व भारत में और संसार में जहांजहां सनातन धर्मी रहते हैं वहां 26 जनवरी 2023 को हर्षोल्लास के साथ मनायाजाएगा |

डा. जे. के. गर्ग पूर्व संयुक्त निदेशक कालेजशिक्षा जयपुर

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