दोस्तो, नमस्कार। हम आम तौर पर पानी पीते समय यह ख्याल नहीं रखते कि हम बैठे हैं या खडे हुए। सच तो यह है कि अनेक लोगों को इसका पता ही नहीं कि पानी बैठ पीना चाहिए। इसके अनेक फायदे हैं। हिंदू व मुस्लिम दोनों संस्कृतियों में इसकी महत्ता बताई गई है। बैठ कर पानी पीने की परंपरा बहुत पुरानी है, और इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक (मेडिकल) कारण भी हैं। आयुर्वेद भी इसे अधिक लाभकारी मानता है। असल में जब हम बैठ कर पानी पीते हैं, तो शरीर रिलैक्स होता है और पेट की मांसपेशियों को पानी को नियंत्रित रूप से पचाने का समय मिलता है। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और गैस, अपच, और एसिडिटी से राहत मिलती है। खड़े होकर पानी पीने से पानी तेजी से शरीर में जाता है, जिससे हृदय पर अचानक दबाव पड़ सकता है। बैठने की स्थिति में पानी धीरे-धीरे अवशोषित होता है, जो दिल और किडनी के लिए फायदेमंद है। बैठने से शरीर एक शांत अवस्था में होता है, जिससे नर्वस सिस्टम संतुलित रहता है और तनाव कम होता है। धीरे-धीरे और बैठ कर पानी पीने से किडनी फिल्ट्रेशन प्रोसेस (ग्लोमेर्युलर फिल्ट्रेशन रेट) बेहतर होता है, जिससे टॉक्सिन्स ठीक से बाहर निकलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार खड़े होकर पानी पीने से वात दोष बढ़ सकता है, जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। बैठ कर पानी पीने से शरीर ध्यानपूर्वक और धीमे तरीके से पानी ग्रहण करता है, जिससे पानी शरीर के ऊतकों तक अच्छे से पहुंचता है। इसके विपरीत खड़े होकर पानी पीने के कई नुकसान हैं। पानी जल्दी और झटके में पेट में जाता है, जिससे गैस, एसिडिटी और थकान हो सकती है। खड़े होकर पीने से घुटनों और हड्डियों पर असर पड़ सकता है। किडनी पर अचानक लोड आ सकता है। उधर इस्लाम के अनुसार बैठ कर पानी पीना सुन्नत है। यह कई हदीसों से प्रमाणित है। हजरत अली रजियातालाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ने खड़े होकर पानी पीने से मना किया है। हां, एक हदीस में आता है कि नबी करीम ने जमजम का पानी खड़े होकर पिया था। इससे यह समझा जाता है कि खड़े होकर पीना हराम (निषिद्ध) नहीं है, लेकिन बैठ कर पीना ज्यादा अफजल (श्रेष्ठ) और सुन्नत के अनुसार है।
इस्लामिक हिकमत के अनुसार बैठ कर पानी पीना सुन्नत और आदाब, पाचन और किडनी के लिए अच्छा है। खड़े होकर पीना जरूरत में जायज लेकिन इससे नुकसान संभव है।
केवल जरूरत या मजबूरी में (जैसे जमजम, भीड़ या सफर में) खड़े होकर पानी पीना जायज है, लेकिन आदतन नहीं। अतः हमेशा बैठकर, धीरे-धीरे और छोटे-छोटे घूंटों में पानी पीना चाहिए।
