साहित्य, फिल्मों, डाक विभाग एवं भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में रक्षा बन्धन

dr. j k garg
dr. j k garg
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राममें जन जागरण के लिये भी रक्षा बंधन के पर्व का उपयोग किया गया। गुरुदेव श्रीरवीन्द्रनाथ ठाकुरने बगांल विभाजन का विरोध करते समय बंगाल निवासियों के पारस्परिक भाईचारे तथा एकता का प्रतीक बनाकर रक्षा बंधन के त्योंहार का राजनीतिक उपयोग किया । 1905 में गुरुदेव की प्रसिद्ध कविता “मातृभूमि वन्दना” प्रकाशित हुई जिसमें उन्होंने लिखा था “हे प्रभु! मेरे बंगदेश की धरती, नदियाँ, वायु, फूल सब पावन हों “ है प्रभु ! मेरे बंगदेश के प्रत्येक भाई बहन के अन्तःस्थल, अविछन्न, अविभक्त एवं एक हों। (बांग्लासे हिन्दी अनुवाद)
सन् 1905 में लॉर्ड कर्ज़न ने बगांल का विभाजन करके वन्दे मातरम्के आन्दोलन से भड़की एक छोटी सी चिंगारी को शोलों में बदल दिया था। 16 अक्टूबर 1905 को बंग भंग की नियत घोषणा के दिन रक्षा बन्धन की योजना साकार हुई और बगांल के लोग गंगा स्नान करके सड़कों पर यह कहते हुए उतर आये :—-“सप्त कोटि लोकेर करुण क्रन्दन, सुनेना सुनिल कर्ज़न दुर्जन; ताइ निते प्रतिशोध मनेर मतन करिल, आमि स्वजने राखी बन्धन |
साहित्य
रक्षाबन्धन के पर्व का विस्तृत वर्णन अनेकों साहित्यिक ग्रन्थों में भी पाया जाता है। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ हरिकृष्ण प्रेमी दुवारा रचित ऐतिहासिक नाटक रक्षाबन्धन है | इस नाटक की लोकप्रियता का प्रमाण यह है कि 1991 में ही इस नाटक का 18वाँ संस्करण प्रकाशित हो चुका था ।मराठी में शिन्दे साम्राज्य के विषय में लिखते हुए रामराव सुभानराव बर्गे ने भी एक नाटक की रचना की जिसका शीर्षक है राखी ऊर्फ रक्षाबन्धन। रक्षा बंधन पर इनके अतिरिक्त अन्यसेकड़ों रचनायें भी उपलब्ध हैं |
सिनेमा –फिल्में
फिल्में एक तरह से हमारी जिंदगी का आईना ही होती है। हर रिश्ते व तीज-त्योहार को लेकर कई भारतीय फिल्में बनाई गई है । भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को अलग-अलग दृष्टिकोणों से दर्शाती हुई कई फिल्में बनी हैं, जिनमें से कुछ फिल्मों के डायलॉग व गीतों का हम पर इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि हर खुशी या त्योहार के मौके पर हम उन्हें जरुर गुनगुनाते हैं |
पचास और साठ के दशक में हिंदी फ़िल्मों का लोकप्रिय विषय रक्षाबन्धन ही था । ‘राखी’ नाम से दो बार फ़िल्‍म बनी | 1959 मेंबनी‘छोटी बहन’,जिसकागीत, ‘भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना आज तक जनमानस गुनगुनाता है । सन 62 में आई फ़िल्‍म को ए. भीमसिंह ने बनाया था जिसमें अशोक कुमार, वहीदा रहमान आदि ने यादगार अभिनय किया था । इसी फ़िल्‍म का गीत “राखी धागों का त्‍यौहार” बहुत लोकप्रिय हुआ था। सन् 1971में प्रदर्शित ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ भी भाई-बहन केप्यार पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म का गीत, ‘फूलों का तारों का सबका कहना है,एकहजारों में मेरी बहना है’ किसे याद न होगा ! सन 1972 में एस.एम.सागर ने ‘राखी और हथकड़ी’ फ़िल्‍म बनायी थी | 1974 में प्रदर्शित धर्मेद्र की सुपरहिट फिल्म ‘रेशम की डोर’में सुमन कल्याणपुर द्वारा गाया गया यह गाना, ‘बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बाँधा है,प्यार के दो तार से संसार बाँधा है’ भी लोकप्रियता की बुलंदियों को छूता हुआ आज तक गाया जाता है। सन 1976 में राधाकान्त शर्मा ने ‘राखी और राइफल’ फ़िल्‍म बनाई | सन 1976 में ही शान्तिलाल सोनी ने सचिन और सारिका को लेकर ‘रक्षाबन्धन’ नाम से फिल्म बनायी थी। इन फिल्मों के अतिरिक्त ‘चंबल की कसम’का ‘ का‘चंदा रे मेरे भइया से कहना, बहना याद करे’ गीत भी आज तक याद किया जाता है।
डाक विभाग
भारत सरकार के डाक-तार विभाग द्वारा इस अवसर पर दस रुपए वाले आकर्षक लिफाफों की बिक्री की जाती हैं। लिफाफे की कीमत 5 रुपए और 5 रुपए डाक का शुल्क। इसमें राखी के त्योहार पर बहनें, भाई को मात्र पाँच रुपये में एक साथ तीन-चार राखियाँ तक भेज सकती हैं। डाक विभाग की ओर से बहनों को दिये इस तोहफे के तहत 50 ग्राम वजन तक राखी का लिफाफा मात्र पाँच रुपये में भेजा जा सकता है जबकि सामान्य 20 ग्राम के लिफाफे में एक ही राखी भेजी जा सकती है। यह सुविधा रक्षाबन्धन तक ही उपलब्ध रहती है।रक्षाबन्धन के अवसर पर बरसात के मौसम का ध्यान रखते हुए डाक-तार विभाग ने 2007 से बारिश से ख़राब न होने वाले वाटरप्रूफ लिफाफे भी उपलब्ध कराये हैं। ये लिफाफे अन्य लिफाफों से भिन्न हैं। इसका आकार और डिजाइन भी अलग है जिसके कारण राखी इसमें ज्यादा सुरक्षित रहती है। डाक-तार विभाग पर रक्षाबन्धन के अवसर पर 20 प्रतिशत अधिक काम का बोझ पड़ता है। अतः राखी को सुरक्षित और तेजी से पहुँचाने के लिए विशेष उपाय किये जाते हैं और काम के हिसाब से इसमें सेवानिवृत्त डाककर्मियों की सेवाएँ भी ली जाती है। कुछ बड़े शहरों के बड़े डाकघरों में राखी के लिये अलग से बाक्स भी लगाये जाते हैं। इसके साथ ही चुनिन्दा डाकघरों में सम्पर्क करने वाले लोगों को राखी बेचने की भी इजाजत दी जाती है, ताकि लोग वहीं से राखी खरीद कर निर्धारित स्थान को भेज सकें।
डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ— रामराव सुभानराव बर्गे,गुरुदेव टेगोर, गायत्री शर्मा,कविता रावत आदि
Please visit our blog—gargjugalvinod.blogspot.in

error: Content is protected !!