बाबा रामदेव – रामसापीर – राजस्थान के लोक देवता

dr. j k garg
dr. j k garg
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव–रामसापीर ने अपने तेंतीस वर्ष (विक्रम संवत 1409-1442) के अल्प जीवन काल में वह कार्य करके दिखाया जो सैकडो सालों में भी होना सम्भव नही हो सकता था। सभी प्रकार के भेद-भाव को मिटाने एवं सभी वर्गों में एकता स्थापित करने की पुनीत प्रेरणा के कारण बाबा रामदेव जहाँ हिन्दुओ के देव है तो मुस्लिम भाईयों के लिए रामसा पीर। राजस्थान के जनमानस में पॉँच पीरों यथा पाबू हडू रामदे ए माँगाळिया मेहा।पांचू पीर पधारजौ ए गोगाजी जेहा की जनमानस के दिलों के अन्दर प्रतिष्ठा और सम्मान है जिनमे बाबा रामसा पीर का प्रमुख स्थान है।
जन-जन की आस्था के प्रतीक बाबा रामदेव का विख्यात रामदेवरा मेले का आगाज आगामी तीन सितम्बर से होगा। दस दिवसीय मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन के दुवारा सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किए जाते हैं।
भारत में लूट खसोट,छुआछूत,हिंदू-मुस्लिम झगडों आदि के कारण विक्रम संवत 1400 के आसपास स्थितियाँ बड़ी भयावह बनी हुई थी जिससे जनसाधारण दुखी और निसहाय था|विक्रम संवत1409की भादवा शुक्ल दूज के दिन पश्चिम राजस्थान के पोकरण शहर के नजदीक रुणिचा नामक स्थान में तोमर वंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमाल जी के घर बाबा रामदेव पीर अवतरित हुए जिन्होंने देश में में व्याप्त अत्याचार,ईर्ष्या,वैरभाव,छुआछूत का विरोध कर अछूतोद्धार का सफल आन्दोलन चलाया और हिन्दू-मुसलमानों के मध्य भाईचारा स्थापित करने में उल्लेखनीय योगदान दिया।
भगवान क्रष्ण- द्वारकानाथ के परम भक्त राजा अजमल के कोई पुत्र नहीं था वहीं उनके ही राज्य में पड़ने वाले पोकरण से3मील उत्तर दिशा में भैरव राक्षस ने उन्हें और उनकी प्रजा को खूब परेशान कर रखा था जिसकी वजह से राजा रानी हमेशा उदास एवं खिन्न रहते थे। राजा अजमल जी पुत्र प्राप्ति के लिये दान पुण्य करते,साधू सन्तों को भोजन कराते,यज्ञ कराते,नित्य ही द्वारकानाथ की पूजा करते थे। इस प्रकार राजा अजमल जी भैरव राक्षस को मारने का उपाय सोचते हुए द्वारका जी पहुंचे। कहा जाता है कि द्वारकाजी में अजमल जी को भगवान के साक्षात दर्शन हुए,राजा के आखों में आंसू देखकर भगवान ने अपने पिताम्बर से उनके आंसू पोछें और बोले“भक्तराज रोओ मत मैं तुम्हारें सारे दुखों को जानता हूँ,बोलो तुम्हें क्या चाहिये,में तुम्हारी हर इच्छायें पुरी करूँगा। राजा अजमल बोले“प्रभु अगर आप मेरी भक्ति से प्रसन्न हैं तो मुझे आपके समान पुत्र प्राप्ति का वरदान दें यानि आपको मेरे घर पुत्र बनकर आना पड़ेगा और भैरव राक्षस को मारकर धर्म की स्थापना करनी पड़ेगी। भगवान द्वारकानाथ ने राजा अजमल से कहा मैं तुम्हे वचन देता हूँ कि तुम्हारा पहला बेटा विरमदेव होगा और दूसरे बेटे के रूप में मै खुद तुम्हारे आपके घर आउंगा। राजा अजमल बोले हे प्रभू आप मेरे घर आओगे तो हमें कैसे ज्ञात होगा कि खुद परमपिता परमात्मा ने मेरे घरमें जन्म लिया है इसके प्रत्युतर मै द्वारकानाथ ने कहा कि जिस रात मैं तुम्हारे घर पर आउंगा उस रात आपके राज्य के जितने भी मंदिर है उसमें घंटियां अपने आप बजने लग जायेगी,महल में जो भी पानी होगा वह दूध में बदल जाएगा तथा मुख्य द्वार से जन्म स्थान तक कुमकुम के पैर नजर आयेंगे वहीं आकाशवाणी भी सुनाई देगी और में अवतार के नाम से प्रसिद्ध हो जाउँगा। कहा जाता है कि श्री रामदेवजी के जन्म लेते ही सभी मंदिरों में घंटियां बजने लगीं,तेज प्रकाश से सारा नगर जगमगाने लगा। महल में जितना भी पानी था वह दूध में बदल गया,महल के मुख्य द्वार से लेकर पालने तक कुमकुम के पैरों के पदचिन्ह बन गए,महल के मंदिर में रखा हुआ शंख भी स्वत: ही बजने लगा।
प्रस्तुतिकरण—-डा.जे.के.गर्ग

सन्दर्भ——गूगलसर्च,विकीपीडिया,मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न पत्र पत्रिकायें आदि

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