प्रचंड ने खोले नेपाली माओवादियों के ‘राज’

नेपाल के माओवादी नेता प्रचंड पर्यटकों के लिए ऐसी गाइड बुक बाजार में लेकर आए हैं जिसमें चरमपंथियों के छिपने की जगहों का वर्णन किया है.

इस पुस्तक की मदद से पर्यटक माओवादियों के इस्तेमाल किए गए रास्तों के बारे में जान सकेंगे, और उन स्थानों को देख सकेंगे जिसे विद्रोहियों ने अपने छिपने के लिए प्रयोग किया.

केंद्रीय और पश्चिमी नेपाल में फैले इन ठिकानों तक पहुँचने में चार हफ्तों तक का समय लगेगा.

माना जा रहा है कि इस गाइड का मकसद नेपाल में पर्यटन को बढ़ावा देना है.

वर्ष 2006 के शांति समझौते से पहले एक दशक तक चले गृहयुद्ध में करीब 16,000 लोग मारे गए थे. साल 2008 में हुए चुनाव में माओवादी विजयी रहे थे.

गृहयुद्ध के बाद नेपाल के राजा के अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी थी.

शिक्षक रह चुके प्रचंड करीब नौ महीने तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे. वो नेपाल के मुख्य माओवादी पार्टी के प्रमुख हैं.

राजधानी काठमांडू में बीबीसी संवाददाता सुरेंद्र फुयाल के मुताबिक नेपाल में ज्यादातर लोग हिमालय की चोटियों के आसपास के लंबे रास्तों का ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस नई पुस्तक में ऐसे रास्तों का भी जिक्र है जो गाँवों और घाटियों से होकर निकलते हैं.

युद्ध पर्यटन

अमरीकी लेखक अलोंजो लियोंस के साथ निकाली गई इस किताब में एक नक्शा भी है.

इस गाइड में उन पहाड़ों, गुफाओं, गाँवों और नदियों का जिक्र है जहाँ एक वक्त माओवादी ने सेना के खिलाफ मोर्चाबंदी की थी.

प्रचंड ने कहा, “इस पुस्तक का मकसद पर्यटकों को ये दिखाना कि आम लोगों की लड़ाई कैसे शुरू हुई और कैसे रुकुम जिले तक पहुँची.”

उन्होंने बताया, “नेपाल ने कई बड़ी राजनीतिक क्रांतियों देखी हैं और लोगों की क्रांति का कोई फायदा नहीं होगा अगर नेपाल में आर्थिक सुधार ना हो. मुझे उम्मीद है कि ‘गुरिल्ला ट्रेक’ इस प्रयास में एक अहम भूमिका निभाएगा.”

जिन लोगों को चार हफ्तों की यात्रा बहुत कठिन लगती हो, उनके लिए 13 दिनों की छोटी यात्रा का भी विकल्प मौजूद है.

शानदार यात्रा

ये यात्रा पश्चिमी पोखरा इलाके से शुरू होती है और रुकुम और धोरपटान इलाके से होकर गुजरती है.

इस रास्ते में वो इलाके भी शामिल हैं जहाँ से माओवादी विद्रोही अपने घायल साथियों को लेकर जाते थे. यात्रा रोल्पा जिले में खत्म होगी.

लेखक लियोंस के अनुसार ये पूरा रास्ता दिल को लुभाने वाला है.

नेपाल के ट्रैवल ऑपरेटरों ने इस कोशिश का स्वागत किया है.

टूर ऑपरेटर आंग शरिंग ने बीबीसी को बताया, “इससे उन पर्यटकों को नेपाल लाने में मदद मिलेगी जो ये जानना चाहते हैं कि माओवादी कैसे अपने काम का अंजाम देते थे और किस प्रकार से उन्होंने सेना के खिलाफ मोर्चाबंदी की.”

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