अजमेर में प्रथम बार अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन कराने वाले स्वामी जी का परिचय
14 वें अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन अजमेर के संयोजक
स्वामी षिवज्योतिषानन्द जी महाराज का जन्म 15 मार्च 1965 में हुआ। आपने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विष्वविद्यालय वाराणसी से वेदान्ताचार्य एवं समस्त धर्मग्रन्थों का अध्ययन कर पूर्ण संन्यास की दीक्षा जुलाई 1980 मंे ग्रहण की। धर्म प्रचार में रत स्वामी जी अनेक सामाजिक व धार्मिक संगठनों के संरक्षक है तो कई जगह पर मार्ग दर्षक बन धर्म और मानवमात्र की सेवा कर रहे है। स्वामी जी मुख्य रूप से आवासीय वेद विद्यालय का निःषुल्क संचालन करते हैं जिसमें लगभग सभी प्रान्तों के ऋषि कुमार बटुक संस्कृत और वेदादि का अध्ययन करते हैं। संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा, रामायण, देवी भागवत, मार्कण्डेयपुराण, षिवपुराण का वाचन जिनकी संख्या देष व विदेष में लगभग 350 से अधिक है। यज्ञादि के कार्य, ज्यौतिष षिविरों का आयोजन, संस्कृत सम्भाषण षिविरों का आयोजन, पौरोहित्य प्रषिक्षण षिविरों का आयोजन, भारतीय संस्कृति के अनुरूप संस्कार षिविरों का आयोजन, हिन्दी का प्रचार प्रसार, पर्यावरण, गौ-सेवा के कार्य, भ्रूण हत्या के विरूद्ध कार्य तथा जीव रक्षा के कार्यक्रमों का निरन्तर प्रणयन, गरीब छात्रों को षिक्षण-प्रषिक्षण में अर्थ सहयोग, गरीब कन्याओं के विवाहों के आयोजन कराए गए, प्राकृतिक आपदा के समय वस्त्र-अन्न वितरण, अनेक धार्मिक संस्थाओं में भागीदारी, पुष्कर व कुम्भ मेलों में अन्न क्षेत्रादि के माध्यम से जन सेवा के कार्यों में स्वामी जी का सहयोग बड़े महत्व के साथ देखा गया है। इंग्लैण्ड सहित यूरोपीय देषों के साथ लगभग 28 देषों में कथा सत्संग एवं सेमिनार आदि के माध्यम से लोगों को प्रेरणा देते रहे हैं।
स्वामी षिवज्योतिषानन्द अजमेर में सर्वधर्म मैत्रीसंघ में भी सक्रिय है जिसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी, बौद्ध आदि सभी सदस्य हैं और समय-समय पर आपसी सौहार्द बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं। इस समय अजमेर में दो दिवसीय 14 वें अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के भी आप संयोजक हैं जिसमें देष-विदेष के लगभग एक सौ हिन्दी के विद्वान भाग लेंगे।
इस अवसर पर स्वामी षिवज्योतिषानन्द ’जिज्ञासु’ को संस्कृति कर्म का अन्तरराष्ट्रीय सम्मान दिया जाएगा।