राजस्थान सरकार के एक नए निर्णय के बाद प्रदेश में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण बढ़ कर 54 फ़ीसदी हो जाने का रास्ता साफ़ हो गया है.
राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की उस रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है जिसमे गुर्जर सहित चार अन्य जातियो को विशेष पिछड़ा वर्ग मानते हुए सरकारी नौकरियों में पांच फीसदी आरक्षण की सिफारिश की गई है.
इससे राज्य में आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ कर 54 हो जायेगी. राज्य में गुर्जर समाज के लोग इसके लिए पिछले पांच साल से भी अधिक समय से आंदोलन चला रहे थे.
कानूनी पेंच
गुर्जर नेता डॉक्टर रूप सिंह ने इसे एक सकारात्मक क़दम बताया है और इसका स्वागत किया है मगर कहा है कि अभी इसे कानून की कसौटी पर खरा उतरना है लिहाजा निर्णय पर खुशी जताने से पहले वो अभी दो माह इंतजार करेंगे.
आरक्षण सीमा बढाने के लिए निर्णय के अनुसार, गुर्जरों के साथ गड़रिया, लुहार, बंजारा और रायका या रेबारी जातियों को भी पांच फीसद आरक्षण में हक़दार माना गया है.
इस बाबत निर्णय की घोषणा करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आयोग की सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में दिया गए फैसले की रोशनी में ही लागू किया जायेगा.
यूं तो सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तक रखी है मगर उसने ये भी कहा कि विशेष स्थिति में इस सीमा से ज्यादा भी आरक्षण दिया जा सकता है.
राज्य की पिछ्ली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने गुर्जरों के लिए पांच फ़ीसदी और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण का ऐलान किया था. राज्य की पिछली वसुंधरा राजे सिंधिया सरकार के दौर में इस बाबत कानून भी बनाया था लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने इस कानून को नामंजूर कर दिया था.
विवादास्पद
अदालत ने वर्ष 2010 में सरकार से कहा कि वो किसी भी जाति में पिछड़ेपन से जुड़े सटीक आकंड़ों के संकलन के बिना ऐसे आरक्षण नहीं दे सकती.
अदालत के आदेश के बाद सरकार ने ऐसे पिछड़े वर्गों का आयोग के जरिये अध्ययन करवाया था. अब आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. हाई कोर्ट ने ये भी कहा था कि आयोग रिपोर्ट दे भी दे तो उसे तत्काल लागू नहीं किया जायेगा और दो माह बाद ही इसे अमल में लाया जा सकता है.
राज्य में गुर्जर समुदाय अपने लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण की मांग करते हुए पिछली भाजपा सरकार के समय सड़कों पर उतर आए थे और इस दौरान हुई हिंसा में कोई 70 लोग मारे गए थे.