असम का नस्लीय संघर्ष देष की आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरनाक

dargaah deevan 1अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिष्ती के वंषज एवं सज्जादानषीन धर्मगुरू दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि असम का नस्लीय संघर्ष देष की आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरनाक है इसलिये धर्मों के बीच उन्माद फैलाकर सत्ता हासिल करने की हर कोशिश साम्प्रदायिकता को बढ़ाती है चाहे वह कोशिश किसी भी व्यक्ति समूह या दल के द्वारा क्यों न होती हो इस लिऐ आगामी दिनों में देष में स्थापित होने वाली सरकार को आर्थिक स्थीरता, विदेष नीति, आन्तरिक सुरक्षा के साथ साथ साम्प्रदायिकता जैसे दानावल के खिलाफ भी ठोस कदम उठाने होंगे। पाकिस्तान की ओर से निरंतर गैरजिम्मेदाराना ब्यानबाजी पर उन्होने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत सरकार को पाक से अपने द्विपक्षिय संबधों की समीक्षा करनी चाहिये।
मुस्लिम धर्म प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान सोमवार को दरगाह स्थित खानकाह शरीफ (ख्वाजा साहब के जीवन काल में उनके बैठने का स्थान) पर ख्वाजा साहब के 802 वें सालाना उर्स की पूर्व संध्या पर आयोजित कदीम महफिले समा के बाद देशभर की विभिन्न प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीन एवं धर्म प्रमुखों को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में दरगाह दीवान ने भारत की विदेष नीति पर अपनी राय का इजहार करते हुऐ कहा कि देष की मौजूदा विदेष नीति पर पुर्नविचार की आवष्यकता है क्योकि पिछले दिनों जिस तरह पाकिस्तान के सेना प्रमुख द्वारा भारत के अभिन्न अंग कष्मीर को पकिस्तान के गले की नस बताऐ जाने का गैर जिम्मेदाराना ब्यान दिया गया यह भारत के आंतरिक मामलों में सीधी दखलअंदाजी है भारत सरकार को ऐसे किसी भी ब्यान का मुंह तौड़ जवाब देना चाहिये।
उन्होने कहा कि पाकिस्तान की ओर से पिछले लम्बे अर्से से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और सीमा पर भारतीय सैनिकों के सिर काटने जैसी कायरतापूर्ण घटनाऐं निरंतर अंजाम दी जा रहीं हैं। यद्धपि इस्लाम धर्म के मौलिक सिद्धांतों और सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिष्ती द्वारा पड़ोसी से सोहार्द के संबंध बनाऐं रखने की षिक्षा प्रमुख है लैकिन पाकिस्तान इस्लामी मुल्क होने का दावा करने के बावजूद ख्वाजा साहब की षिक्षाओं ओर इस्लाम धर्म के मौलिक सिद्धांतों के विपरित आचरण के कारण भारत सरकार को पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के द्विपक्षीय संबध समाप्त कर लेने चाहिये।
असम हिंसा पर चिंता जाहिर करते हुऐ उन्होने कहा कि इस तरह के नरसंहार देष की आंतरिक सुरक्षा के लिऐ नुकसानदायक है इसे रोके जाने के लिऐं सरकार ठोस उपाय करे। उन्होने कहा कि असम का नस्लीय संघर्ष बोडो उग्रवाद की निरंकुषता और धर्म आधारित मतदान की अपील का परिणाम है। थोक के भाव वोट हासिल करने के लिए धर्म-गुरुओं और धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल लगभग सभी दल कर रहे हैं । इसमें धर्म निरपेक्षता की बात कहने वाले राजनीतिक दल भी शामिल हैं। इन दलों ने चुनाव में साम्प्रदायिक दलों के साथ सत्ता हासिल करने के लिए समझौते भी किए हैं । यदि धर्म निरपेक्षता की बात कहने वाले दलों ने मौकापरस्ती की यह राजनीति नहीं की होती तो धर्म-सम्प्रदायाधारित राजनीति करने वालों को इतना बढ़ावा हर्गिज नहीं मिलता। दरगाह दीवान ने भारत में मुसलमानो के सबसे बड़े धर्म स्थल का प्रमुूख होने की हैसियत से सभी धर्म गुरूओं का आव्हान किया कि वक्त आ गया है कि हम भारतीय समाज में बढ़ती विघटनकारी प्रवृत्तियों को गहराई से समझें और साम्प्रदायिकता के फैलते जहर को रोकने अपनी भूमिका अदा करें।
आतंकवाद पर अपना नजरिया स्पष्ट करते हुऐ दरगाह दीवान ने कहा कि आतंकवाद भारत व विष्व के लिये एक जटिल समस्या बन चुका है धर्म की आड़ में आंतकवादी वारदातें अंजाम देकर मासूम बेगुनाहों की जाने लेने वाले कथित धार्मिक संगठन इंसानियत के दुश्मन हैं। कुछ कट्टरपंथी ताकतें आतंकवाद को इन्सानियत के खिलाफ अपनी नाजायज सियासी महत्वकांक्षाओं की पूर्ती के लिऐ नौजवानों का इस्तेमाल करके अमन शान्ति को नुकसान पहुंचा रही है।
आर्थिक सुधारों पर दरगाह दीवान ने कहा कि केन्द्र में जिस दल की भी सरकार बनें उसे भारत की आर्थिक सदृढता सुनिष्चीत करने के लिऐ ठोस नीतियों के सृजन पर एक रूपता से काम करना होगा। नई सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिये जिससे भारत की विकास दर 9 प्रतिषत से नीचे नहीं आऐ और मुद्रा स्फृति की दर भी नियंत्रित रहे ताकि मंहगाई पर लगाम लगाया जाना संभव हो सके। उन्होने कहा कि नई सरकार को रूपये के अपमुल्यन के ठोस प्रयास करने होगे।
धर्म प्रमुख ने देष के मुसलमानों का आव्हान किया कि समय बदल चुका है और बदले हुऐ परिपेक्ष्य मे जहां देष का हर वर्ग को आने वाले कल की चिंता के साथ विकास कि मुख्य धारा में शामिल है इसी तरह मुसलमान को भी सभी पुर्वाग्रहों से मुक्त होकर देष में स्थापित होने वाली नई सरकार चाहे वह भाजपा, कांग्रेस, या किसी मोर्चे की हो विकसित राष्ट के निमार्ण के लिऐ कंधे से कंधा मिलाकर विकास की मुख्यधारा में शामिल हों।
कार्यक्रम के अंत में धर्म प्रमुख ने अपने दादा बुजुर्ग हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 802 वें सालाना उर्स के मोके पर देश व दुनियां में अमन शान्ति भाईचाारे के लिये दुआ की इस पारंपरिक आयोजन में देश प्रमुख चिश्तिया दरगाहों के सज्जादगान व धर्म प्रमुखों में शाह हसनी मियां नियाजी बरेली शरीफ, मोहम्मद शब्बीरूल हसन गुलबर्गा शरीफ कर्नाटक, अहमद निजामी दिल्ली, सैयद तुराब अली हलकट्टा शरीफ आध्र प्रदेश, सैयद जियाउद्दीन अमेटा शरीफ गुजरात, बादशाह मियां जियाई जयपुर, सैयद बदरूद्दीन दरबारे बारिया चटगांव बंगलादेश,सहित भागलपुर बिहार, फुलवारी शरीफ यु.पी., गंगोह शरीफ उत्तरांचल प्रदेश के सज्जादगान मौजूद थे।
दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान
वंशज एवं सज्जादानशीन (दरगाह दीवान)
ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर शरीफ

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