महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं

विजय जैन
विजय जैन
अजमेर 30 जनवरी। शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उनके विचारों को अपनाकर जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। विश्व का कल्याण राष्ट्र पिता महात्मा गांधी द्वारा बताये गये मार्ग पर चलकर ही हो सकता है। कैलेन्डर से महात्मा की फोटो हटाकर गांधी के विचारों खत्म करना किसी सरकार के बूते की बात नहीं है।
विजय जैन आज यहाँ गांधी भवन में गांधी जी के पुण्य तिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम के बाद कांग्रेसजनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उन्होने कहा कि राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने दुनिया को एक वैकल्पिक दर्शन दिया था। स्वतंत्रता की लड़ाई में सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे अनूठे प्रयोग किये थे। मानवता को शाश्वत शांति का पथ दिखाया। उन्होंने कहा कि एक काम ऐसा जरूर करे जिससे गरीब और पीड़ितों की सेवा हो। यही गांधी जी के प्रति सच्ची आदरांजलि होगी।
उन्होंने कहा कि गांधीजी की सोच थी कि सबसे बड़ी प्राथमिकता है निर्धन वर्ग का दुख-दर्द दूर करना। उन्होंने कहा कि यदि कभी अनिश्चय की स्थिति उत्पन्न हो तो इस आधार पर निर्णय लिया जाए कि सबसे निर्धन व जरूरतमंद वर्ग के लिए क्या जरूरी है। यदि इस सिद्धांत को ही मान लिया जाए तो देश में दुख-दर्द को तेजी से कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज के हमारे समाज में, जब हम हिंसा को लगभग अपरिहार्य मानने लगे हैं और हमारे आसपास हो रही हिंसा की घटनाएं हमें कुछ खास प्रभावित नहीं करतीं, तब ऐसा लग सकता है कि अहिंसा का सिद्धांत बेमानी और अव्यवहारिक है परंतु गांधी के पास अब भी दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है उनकी फौलादी दृढ़ता और उनके उच्च नैतिक आदर्श, हाशिए पर पड़े समुदायों को प्रेरित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गांधी का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अप्रितम योगदान था महात्मा गांधी का व्यक्तित्व बहुआयामी था वे एक क्रांतिकारी भी थे और समाज सुधारक भी वे विरोधाभासी और कठिन परिस्थितियों में से भी एक ऐसा रास्ता निकालने में सक्षम थे जो दुनिया को करूणा और प्रेम की राह पर ले जाता है इसका अर्थ यह नहीं है कि उनमें ऐसा कुछ था ही नहीं जिसकी निंदा की जा सके या उनके किसी विचार को चुनौती देना संभव ही नहीं है आज के भारत के सार्वजनिक विमर्श पर असहिष्णुता और रूढ़िवाद हावी है असहिष्णुता हमारे समाज की उदारवादी परंपरा के लिए बड़ी चुनौती है।
इस अवसर पर प्रताप यादव, प्रेमराज सोलंकी, अमोलक छाबड़ा, सुकेष कांकरिया, जोधा टेकचंदानी, कुलदीप कपूर, महेष औझा, विजय नागौरा, अषोक बिंदल, आरिफ हुसैन, रागिनी चर्तुवेदी, शैलेन्द्र अग्रवाल, गिपिन बैसिल, श्याम प्रजापति, अंकुर त्यागी, मुजफ्फर भारती, ष्विराज भडाना, शमषुद्दीन, नौरत गुर्जर, सर्वेष पारिक, मनोज कंजर, बलराम शर्मा, लोकेष शर्मा, द्विवेयंद्र जादौन, अषोक शर्मा, ललित भटनागर, राजेन्द्र नरचल, राजनारायण आसोपा, राजेन्द्र वर्मा, मंजु बलाई, अभिलाषा विष्नोई, अरूणा कच्छावा, शैलेष गुप्ता, निर्मल पारिक, मनीष सेठी, सागर मीणा, वैभव जैन, कैलाष कौमल, अतुल अग्रवाल, गोपाल सिंह, चंदन सिंह, निर्मल बैरवाल, रवि शर्मा, हरिप्रसाद जाटव, मनीष शर्मा, द्रोपदी कोली, मोहम्मद शाकिर, दिनेष वासन, चंद्रप्रकाष बालोटिया, श्रवण चैधरी, मनोज कोटिया, पूर्ण सिंह, राजकुमार गर्ग, कमल गंगवाल, मनीष सेन, अनुपम शर्मा सहित कई कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।

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