जन्म से बहरी महिला श्रद्धालु की श्रवण शक्ति लौटी

3अजमेर। आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा के चतुर्थ दिवस गुरुवार को कथा के दौरान संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने एक जन्मजात महिला की ध्वनि शक्ति लौटा कर चमत्कार कर दिया। पुलिस लाइन्स स्थित बैंक कॉलोनी निवासी पंकज की 40 वर्षीया पत्नी उमा के बारे मे जब मूल योगीराज को पता चला कि वे जन्म से ही बहरी हैं तो उन्होंने उमा को मंच पर बुलाया और उनके कान में शंख ध्वनि की। पहले एक मीटर दूर से शंख ध्वनि सुनाई दी और फिर दो, पांच और दस मीटर दूर से शंख ध्वनि सुनाई। यह ध्वनि सुनने के बाद उमा की श्रवण शक्ति लौट आई। हज़ारों लोगों की साक्षी में हुए इस चमत्कार से पंडाल बाबा रामदेव की जय-जयकार से गुंजायमान हो गया।

आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा
अजमेर। कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि भगवन ने हमें के लिए स्वतंत्र बनाया है तो कुछ के लिए परतंत्र भी किया है। पांच कर्मेन्द्रियाँ और पांच ज्ञानेन्द्रियाँ भगवान ने सिर्फ मानव को ही दिया है। मानव ने अपनी बुद्धि से अपनी पीने के लिए कुआँ खोद लिया, वहीँ लोहे के पत्तरों को जोड़ कर हवाई जहाज जैसा वाहन बना लिया।
आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा के पंचम दिवस गुरुवार को कथा के दौरान संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि छुआछूत की प्रथा के कारण भारत मे बाहर से आये धर्म पनपाने का अवसर पा गए। जो धर्म और धार्मिक बंधु अपने ही धर्म वालों को अछूत कह कर अपने से अलग करते हैं वे अपने ही धर्म का नाश करने वाले होते हैं। बाबा रामदेव, स्वामी दयानन्द और गुरु गोविन्द सिंह यदि ना होते तो आज हिन्दू धर्म विलुप्त होते धर्मों की श्रेणी में होता।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि समय जो करता है, वह शत्रु नहीं कर सकता। इसलिए मनुष्य को कोई भी कार्य करने के लिए समय का विचार अवश्य करना चाहिए। हमारा ज्योतिष शास्त्र पांचवा वेद है जो सर्वाधिक उपयोगी है। ज्योतिष शास्त्र और पंचांग के अनुसार शुभ शकुन और समय पर किया गया कार्य अवश्य ही सफल होता है। हर आदमी का भविष्य किसी एक दिशा की तरफ से उदित होता है। उस दिशा का पता हमारे ज्योतिष शास्त्रों की गणना से सटीक रूप से हो सकता है।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि व्यापार सत्यता पर ही चलता है। व्यापार में जब झूठ आ जाता है तो वह अधिक समय तक चल नहीं सकता। पहले राजा प्रजा की ख़ुशी के अनुकूल चलते थे। आज के राजा यानि नेता अपनी ख़ुशी के लिए प्रजा पर अनेक कर लाद देते हैं। पहले नमक और वस्त्र पर कोई कर नहीं होता था, जिसके कारण प्रजा बहुत खुशहाल थे। एक झूठ सौ सत्य को हर लेता है। हमारी असली कमाई वही है जो हमने अपने हाथ से दान कर दिया। गुनी आदमी अपने गन का बखान कभी स्वयं नहीं करता है।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि कोई भी आदमी चमत्कार, भय, प्रलोभन अथवा त्रास से ही झुक सकता है। कभी मिथ्या चमत्कार को देखकर प्रभावित नहीं होना चाहिए। साधना व्यक्ति को स्वयं करनी पड़ती है, साधना का मार्ग ज्ञानी पुरुष अवश्य बता सकते हैं। साधना और परिश्रम से ही सिद्धि यानि सुफल की प्राप्ति संभव है।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि आज हमारे समाज को साम्प्रदायिक सदभाव की आवश्यकता है। कुछ स्वार्थी तत्व अपने हित को साधने के लिए धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचते है। कर दी राहें अलग-अलग पर मंज़िल तो है एक, इसी प्रकार नाम अलग कर देने से ईश्वर अलग नहीं हो जाता। सबका ईश्वर एक ही रहता है।
कथा के मध्य में साध्वी शशि गौतम दीदी जी ने अपने सुमधुर स्वर में तू ही मेरा दाता है, तुझसे मेरा नाता है, सहित अनेक भजन सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मज़बूर कर दिया।
कथा आयोजक संस्था बाबा श्री रामदेव कथा समिति के प्रमुख कार्यकर्ता सत्यनारायण भंसाली ने बताया कि गुरुवार की कथा मे वीरमदेव का विवाह, बाबा रामदेवजी द्वारा रूणिचा बसाना, लखि बंजारा की मिश्री का नमक बनना, सेठ बोयत की नव तिराना, डालीबाई को आध्यात्मिक उपदेश, हरबूजी को वचन देना, पांच पीरों की चर्चा, सारथीया सुथार को जीवनदान देना, राजा दलपत अमरकोट का भेजा ब्राह्मण का का आगमन और रामदेवजी की सगाई का वर्णन किया गया। शुक्रवार को बाबा रामदेवजी द्वारा दो रूप बना पुंगलगढ़ जाकर रतना राईका के बंधन खोलना, सुगनाबाई को रुणिचा लाना, बारात अमरकोट प्रस्थान, कपडे की बिल्ली जीवित कर रूणिचा आना और सुगनाबाई के पुत्र को जीवित करना आदि के प्रसंगो का वर्णन किया जायेगा।
पार्षद एवं बाबा के परम भक्त पार्षद कुंदन वैष्णव, के विशेष सहयोग से की जा रही बुधवार की कथा मे अखिल भारतीय खंडेलवाल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल, सुमित खंडेलवाल, राजेश श्रीवास्तव, उमेश गर्ग, जीतेन्द्र धारू, महेन्द्र मारू, अमरसिंह भाटी, सुमित खंडेलवाल, राजेश श्रीवास्तव आदि विशेष रूप से पूजा और आरती मे उपस्थित थे।

(महेन्द्र मारू)
मे. 9829795054

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