बिच्छू के डंक मारने के बाद भी करूणा का भाव आए यहीं है जैन दर्शन

DSC_0120मदनगंज-किशनगढ़। पुण्यात्मा अहित करने वाले का भी बुरा नही चाहती है। द्वेष का प्रतिकार द्वेष से नही प्रेम से करना चाहिए। शिकायत करने की परम्परा संस्कृति को मिटा देती है। भारतीय संस्कृति बुरे के साथ भी अच्छा करने वाली है। उक्त उद्गार मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने आर.के. कम्यूनिटी सेन्टर में चल रहे प्रवचन के दौरान कहे। मुनिश्री ने कहा कि बिच्छू डंक मारता है यह इसका स्वभाव है, सम्यक दृष्टि वह होती है अगर बिच्छू का जीवन संकट में है तो वह उसको बचाए चाहे वह उसको डंक ही मार दे। क्योंकि सम्यक दृष्टि धर्मात्मा जीव होता है और उसका स्वभाव है दया। जब बिच्छू अपना स्वभाव नहीं छोड़ता है तो फिर तुम अपना स्वभाव कैसे छोड़ सकते हो। अगर चार बार बिच्छू के डंक मारने के बाद भी तुम्हारे मन में उसके प्रति करूणा का भाव आता है, तो समझो तुम में धर्म उतर गया है और यही जैन दर्शन है। मुनिश्री ने कहा कि जीवन में नरम व गरम दोनों नीति होनी चाहिए। क्योंकि जब चोट नहीं लगेगी तो मरहम कैसे लगेगा। अपमान का बदला सम्मान से दे वहीं भारत है और अपमान का बदला अपमान से लिया जाए वह पाश्चात संस्कृति है। मुनिश्री ने कहा कि दुश्मन देश भारतीय सैनिकों को आतंकवादी मान कर उसके शरीर का अपमान करता है लेकिन भारत अपने दुश्मन को मार कर भी उसे सम्मान के साथ लौटा देता है। भारत देश की महानता है कि जो हमारा बुरा चाहता है करता है हम उसका विकास करते है। मुनिश्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि निजी व समाज की लडाई में भागवान व मुनि को दोष नहीं देना चाहिए। भगवान व गुरू का कोई गु्रप नहीं होता वे सभी के लिए है। देव, शास्त्र, गुरू व ज्ञानी सूरज के समान होते है। हाथ में कला व समर्थ है तो जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए। दृढ संकल्प व पावन आत्मा की सहायता देवता भी करते है। जीवन में सदैव सत्य व धर्म से मतलब होना चाहिए। श्रमण व जैन संस्कृति विनाश करके नही विकास करके जिंदा है। सम्यक दृष्टि व ज्ञानी का स्वभाव धर्म व दान करना है। धर्मात्मा वही है जिसके साथ बार बार बुरा होने पर भी वह सदैव दया भाव रखते हुए सहायता करता है। आज के श्रावक श्रेष्ठी के सवाल के जवाब में मुनिश्री ने कहा कि राखी का त्यौहार केवल भाई बहन तक ही सीमित नहीं है। यह रूढि़वादिता चली आ रही है। राखी हम उन सब को बांध सकते है जिससे हम अपनी रक्षा कराना चाहते है। एक पत्नि अपने पति के भी राखी बांध सकती है क्योंकि वह अपने पति से अपनी रक्षा चाहती है। रक्षा बंधन का अर्थ है रक्षा सूत्र।

ये रहे श्रावक श्रेष्ठी
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा व संजय जैन ने बताया कि प्रात: श्रीजी का अभिषेक एवं शांतिधारा, धर्मसभा में दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट, मुनिश्री के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य महावीर प्रसाद, विनोद कुमार, कैलाशचंद, पिन्टूकुमार, नित्य पाटनी उरसेवा वालों के साथ प्रदीप कुमार, दिलीप कुमार, कमल जैन, अभिषेक, हन्नी, कुलदीप बैद, आचलेन्द्र कुमार, पीयूष कुमार अजमेरा को मिला।

मंदिर निर्माण के लिए गंगवाल परिवार भी आया आगे
मंदिर निर्माण हेतु प्रेमचंद, प्रकाशचंद, हुकमचंद, रमेशचंद, सुमेरचंद, निर्मल कुमार गंगवाल परिवार ने सहयोग देने की घोषणा की।

ये रहे मौजूद
आर.के. परिवार से कंवरलाल पाटनी, अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी, निहालचंद पहाडिय़ा, प्रकाश गंगवाल, सम्पत दगड़ा, कैलाश पहाडिय़ा, राकेश पहाडिय़ा, चेतन प्रकाश गंगवाल (कटारिया), नौरतमल पाटनी, एम.के. जैन, स्वरूपचंद छाबड़ा, प्रदीप गंगवाल, नरेश झांझरी, मांगीलाल झांझरी, चेतन पाण्ड्या, रमेशकुमार गंगवाल, अनिल गंगवाल (दांतरी), कमल बैद, इंदरचंद पाटनी, निर्मल गंगवाल, संजय छाबड़ा, सुशील अजमेरा, भागचंद गुर्जर, राजेश पहाडिय़ा, गौरव पाटनी, विकास पाटनी, पदमचंद गंगवाल आदि मौजूद थे।

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