कन्याओं का अनुपात बिगड़ रहा है, भ्रुण हत्या बंद हो

श्रावक संस्कार शिविर का छठवां दिन, उत्तम संयम धर्म पर प्रवचन
Untitledमदनगंज-किशनगढ़। दशलक्षण पर्व पर आयोजित श्रावक संस्कार शिविर के छठवें दिन मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने उत्तम संयम धर्म पर अपने प्रवचन में कहा कि अक्सर ऐसा होता है कि सत्य को जानने के बाद भी, सत्यवान को जानने के बाद भी हम सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते। कितने लोग है जो सत्य भगवान को जानते है? लेकिन कितने लोग है जो सत्य भगवान को स्वीकार कर पाते है। 80 प्रतिशत लोग जानते है कि पाप क्या है, हानिकारक क्या है फिर भी लोग वहीं कर रहे है। हम जानते है कि जीवन का सही सार संयम धारण करना है, यही सत्य है लेकिन हम फिर भी असंयमी बने हुए है। एक साधारण गृहस्थ अग्रि की साक्षी में जनता की साक्षी में पति पत्नि को स्वीकार करता है और जिंदगी भर निभाता है। किन्तु हम परमार्थ का संकल्प नहीं निभा पा रहे है। हम सच्चे देव शास्त्र गुरू को जानने के बाद भी हम यह घोषणा नहीं कर पा रहे है कि अब मेरा किसी दूसरे से संबंध नहीं होगा। हम णमोकार मंत्र को पाकर, जिनवाणी को पाकर के भी न जाने कौन कौन से मंत्रों में भटक जाते है। हमारा समर्पण नहीं हो पा रहा है, क्यों ? इसलिए उत्तम सत्य के बाद उत्तम संयम धर्म रखा गया है। सत्य के बिना संयम उतर नहीं पाएगा जीवन में। संयम के बिना जानोगे तो सही, जैसे एक व्यक्ति जान तो रहा है कि पानी से प्यास बुझती है लेकिन उस दुर्भागे को पानी पीने नहीं मिल रहा है। मुनिश्री ने कहा कि कहाँ जैन दर्शन कह रहा है कि तुम एक पत्ते को भी तोड़ के व्यर्थ में मत फेंको, कहाँ जैन दर्शन कहता है कि चींटी को भी मत मारों और जब जैन कुलों में गर्भपात होते है कितना असंयम। असंयम की चरम सीमा जब होती है जब कोई व्यक्ति अपने अपने शरण में आए हुए को मारता है। सबसे बड़ा असंयम होता है जब कोई मां-पिता अपने बेटा बिटियां को मारने का भाव करता है। हम उन बुचड़ खानों को तो बंद कराने की बात करते है, जहां कसाई पशु काटता है। वो तो कसाई है। वो आजीविका के लिए, पैसे कमाने के लिए करता है। लेकिन उन चलते फिरते बुचड़ खानों को क्या कहे। जिनमें मां बाप अपने बेटा बिटिया को सुपारी देकर मरवाते है। डॉक्टर को फीस ही नहीं, ऊपर से पैसे देते है कि मेरे गर्भ में जो है उसको इस तरीके से मारना कि वो कैसे भी बच नहीं पाए। जिस तरह से गर्भ में बेटा बिटिया को मारा जाता है उस तरीके से तो कोई दुश्मन भी अपने दुश्मन को नहीं मारता। इससे बड़ा असंयम भला क्या हो सकता है। मुनिश्री ने कहा कि कन्याओं का अनुपात जो बिगड रहा है, भ्रुण हत्या इसका प्रमुख कारण है। एक समय वो था जब पुरूष 1000 थे और महिला 3000 होती थी। किन्तु आज 1000 पुरूषों पर 800 कन्याएं है। मुनि श्री ने कहा कि मछली बेच जो पेट भरते है हम उनको पापी कहते है, वे उनसे ज्यादा पापी है जो लाली को मारा करते है। इसलिए आप उत्तम संयम के दिन यह प्रतिज्ञा ले कि आज के बाद आपके परिवार में कोई भु्रण हत्या नहीं होगी। साथ ही मुनि श्री ने जैनियों से आह्वान किया कि या तो ब्रह्मचर्य व्रत का संयम ले लो नहीं तो परिवार नियोजन और नसबंधी मत कराओ। ये एक महापाप है।
सिक्कों का विमोचन
कार्यक्रम में आज संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव पर मुनिश्री सुधासागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में स्वर्ण, रजत व ताम्र के सिक्कों का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम हुए
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार सामूहिक प्रार्थना, अभिषेक एवं सामूहिक संगीतमय पूजन, तत्वार्थसूत्र वाचना एवं अर्घ समपर्ण, सामूहिक सामयिक अध्ययन पठन पाठन, जिज्ञासु प्रश्रोत्तर (मुनिश्री से), मुनिश्री द्वारा कक्षा पाठ्यक्रमानुसार, सामूहिक श्रावक प्रतिक्रमण, आचार्य भक्ति व सामूहिक आरती, ग्रुप अनुसार अध्ययन कक्षाएं सहित विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम विधिवत रूप से सम्पन्न हुए।
शिविर पुण्यार्जक
26 वें श्रावक संस्कार शिविर पुण्यार्जक का सौभाग्य चत्तरदेवी पाटनी, किशनगढ़ को मिला।
ये रहे श्रावक श्रेष्ठी
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार प्रात: अभिषेक एवं शांतिधारा, चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन, सायंकालीन आरती एवं वात्सल्य भोज पुण्यार्जक का सौभाग्य पदमचंद संजय कुमार अजय कुमार संचित, अर्पित, भावित, सांची, कृति सोनी (मोराझड़ी वाले) परिवार को मिला। द्रव्य पुण्यार्जक का सौभाग्य ललिता देवी, अरूणकुमार राजकुमार छाबड़ा परिवार को मिला। अल्पाहार पुण्यार्जक का सौभाग्य नेमिचंद, माणकचंद, नरेन्द्रकुमार गंगवाल परिवार को मिला।

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