सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड़ पर देने की कड़े शब्दों में निंदा

shailesh guptaअजमेर 25 सितंबर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस खेलकूद प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव शैलेश गुप्ता ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर राजस्थान सरकार द्वारा शिक्षा के स्तर में सुधार हेतु सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड़ पर देने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इस फरमान पर रोक लगाने की मांग की है।। कांग्रेस नेता शैलेश गुप्ता ने राज्य सरकार द्वारा इस तुगलकी फरमान की निंदा करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में नागरिकों को प्रदत्त मूल अधिकारों में से एक है 6 से 14 आयु वर्ग के बालको को निशुल्क एव अनिवार्य शिक्षा(51क) व निशुल्क अव अनिवार्य शिक्षा अधिनियम2009 से हम भली भांति परिचित है जब संविधान में निशुल्क शिक्षा उपलब्ध है तो इस विषय को निजी हाथों में सौपना कहा तक उचित है शैलेश गुप्ता ने कहा कि सरकार ने ppp मोड़ पर जो तर्क दिये हैं उसमें 1 गुडवत्ता पूण शिक्षा 2 आर्थिक लाभ ।गुप्ता ने कहा किअगर सरकार ये मानती है कि सरकारी स्कूल गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने में नाकाम है तो उसकी जिम्मेदारी भी स्वयं सरकार ही है क्योंकि स्कूल पर वित्तिय बजट बहुत कम है प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के कई पड़ रिक्त पड़े है।शैलेश गुप्ता ने कहा कि आपको वास्तव में गुडवत्ता पुर शिक्षा देनी है तो पर्याप्त संशाधन उपलब्ध क्यो नही कराते क्यो हजारों पद खाली पड़े है,सरकारी स्कूलों के रिकॉर्ड ऑन लाइन करवा कर वहां वहीं लूटने वाले प्राथमिक विद्यालयओ में कम्प्यूटर व इंटरनेट क्यो नही लगवाते,जबकि चुनावी वर्ष में एक ही विद्यालय के कई छात्रों को लेपटॉप देने केलिये वित्त आ जायेगा परंतु उस विद्यालय में कंप्यूटर लैब के लिये बजटनही है। शैलेश गुप्ता ने कहा कि ऐसे विद्यालय को ppp मोड़ पर दीजिये जहा1 से 12 तक स्कूल 5 कमरों में चल रहे है,जहा 15 छात्रों का नामांकन है।
आपका उद्देश्य तो गुणवत्ता बढ़ाना है शुरुआत ग्रामीण क्षेत्रो के विदयालय से कीजिये क्यो बड़े शहर के 1000 नामांकन वाले विद्यालय दिए जा रहे है ? बड़े सुनियोजित तरीके से ऐसे विद्यालय जिनकी लोकेशन बहुत अच्छी है ( शहर के बीचों बीच , या पॉश एरिया , या जहा भूमि महंगी है ), अब ऐसी क्षेत्रों में जगह मिलना तो बड़ा दुष्कर है , इससे बेहतर क्या हो सकता है कौड़ी के दाम में भूमि मिल जायेगी और ऊपर से कोई दिक्कत भी नही , ppp mode पे देना है न तो देओ बाड़मेर के विद्यालय , जैसलमेर के विद्यालय क्यो नही देते उनको गुणवत्ता उनकी नही बढानी है क्या ? कई सारे विधानसभा क्षेत्रों में भी कार्य गुणवत्ता पूर्ण नही हो रहे है तो क्या उनको भी ppp mode पर देने का मानस है ?
चंद लोगो के लिए सरकार इस निर्णय पर पहुँची है , विषय बड़ा गम्भीर है, भला किसका होगा ये तो हम सब जानते है ।
अब बात करते है सरकार का तर्क आर्थिक हानि होने के कारण ppp mode अपनाया जा रहा है ,तो क्या सरकार फायदा नुकसान देखने के लिए बनाई जाती है ? ऐसा ही होता तो सरकार की कहा जरूरत बड़े बड़े दिमागदार उद्योग पति है उनको सरकार दे देते वो कभी सरकार को घाटे में नही जाने देते , सरकार बनाई जाती है लोक कल्याणकारी कार्यो के लिए न कि फायदा नुकसान देखने के लिए , भारत का संविधान समाजवादी विचारधारा रखता है न कि पूंजीवाद ।
खेर सवाल कई सारे है पर सब निर्रथक एक तरफ दावा करते है अनिवार्य शिक्षा हो दूसरी तरफ उसी हक को छीन रहे है क्या होगा जब अगले सत्र में उस विद्यालय में पढ़ने वाले 200 गरीब छात्रो से फीस मांगी जाएगी और फीस न होने के कारण वो उस विद्यालय छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे क्या यही गुणवत्ता है ?धन्य है !!

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