पद्मावती फिल्म का विरोध जायज है

dargaah deewanअजमेर 16 नवंबर । अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दरगाह दीवान ने कहा कि संजय लीला भंसाली का आचरण विवादित लेखक सलमान रुश्दी तस्लीमा नसरीन और तारिक फतह की तरह धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला है इसलिए पद्मावती फिल्म का विरोध जायज है। बॉलीवुड निर्देशक संजय लीला भंसाली की अपकमिंग फिल्म पद्मावती को लेकर राजस्थान में विवाद गहराता जा रहा है इस विवादित फिल्म का विरोध जायज है और
मुसलमानों को इसका समर्थन करना चाहिए।

गुरुवार को एक बयान जारी कर सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादा नशीन दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने संजय लीला भंसाली द्वारा निर्मित फिल्म पद्मावती के विरोध का समर्थन करते हुए संजय लीला भंसाली की तुलना सलमान रुश्दी तस्लीमा नसरीन और तारिक फतेह से करते हुए कहा कि पद्मावती फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली का किरदार ठीक उसी तरह है जैसे विवादित लेखक सलमान रुश्दी तस्लीमा नसरीन और तारिक फतह है, क्योंकि जिस तरह भंसाली ने इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पद्मावती फिल्म का निर्माण करके देश के राजपूत समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, उसी तरह अभिव्यक्ति की आजादी का सहारा लेकर सलमान रुश्दी और तस्लीमा नसरीन ने इस्लाम धर्म के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करके मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की है इसी तरह पद्मावती फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के प्रस्तुत किए गए कथित चित्रण से राजपूत समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचना स्वाभाविक है। इसलिए भंसाली और पद्मावती फिल्म का विरोध जायज है और इस विरोध में देश क मुसलमानों को राजपूतों का समर्थन करना चाहिए ।

दरगाह दीवान ने कहा कि पद्मावती फिल्म की कथावस्तु एवं ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शान्ति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। दीवान ने कहा कि इस फिल्म के कुछ दृश्यों से किसी समुदाय की भावना आहत हो रही है तो इस फिल्म के दृश्यों की समीक्षा की जानी चाहिए कोई फिल्म किसी समुदाय की भावना को आहत करने वाली नहीं होनी चाहिए क्योंकि फिल्म का मकसद किसी समुदाय की भावना को आहत करना नहीं होता। इस फिल्म में राजपूतों के ग़ौरशाली इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश करके छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है। ऐसे में भारत सरकार को पद्मावती फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगानी चाहिए। उन्होने दावा किया कि यह पूरी तरह से रुपए बनाने और मनोरंजन की कोशिश है। रानी पद्मिनी महिलाओं के शौर्य और स्वाभिमान की प्रतीक हैं। उनका अपमान किसी को भी स्वीकार नहीं होगा।

दरगाह दीवान ने ताज्जुब करते हुऐ कहा कि फिल्म पद्मावती में जिस मुगल शासक और रानी पद्मिनी के प्रेम प्रसंग के जिक्र को लेकर देष में जबरदस्त विरोध प्रर्दषन हो रहा है उसी किस्से को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग बरसों से पर्यटकों को परोसता रहा है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले में स्थित पद्मिनी महल के बाहर पत्थर पर इसका उल्लेख भी किया गया है यही नहीं टूरिस्ट गाइड इस किस्से को सच बताते हुए पर्यटकों को उन शीशों से भी रूबरू कराते हैं जिनसे खिलजी ने पद्मिनी की झलक देखी थी जबकि इसी शीलालेख में आगे लिखा है कि यह किवदन्ति है उनहोने कहा जब यह किवदन्ति है तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इसका प्रर्दषन करके विवाद को हवा क्यों दिया जा रहा है। दरगाह दीवान ने प्रधानमंत्री से मांग की कि देष के राजपूतों की धार्मिक भवनाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाली फिल्म पदमावति को रिलीज होने से पूर्व रोका जाऐ।

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