‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’ मिशन की बेबी कोमल बनी मिसाल

‘कोमल’ के दिल की हुई ‘जटिल’ शल्य चिकित्सा
आरबीएसके योजना में किशनगढ़ आंगनबाड़ी केंद्र पर हुई थी चिंहित
मित्तल हाॅस्पिटल में हुआ निःशुल्क ईलाज, उपचार में लगे 60 दिन
मानवीयता के आधार पर हाॅस्पिटल प्रबंधन का रहा बड़ा आर्थिक योगदान

अजमेर, 17 मार्च ( )। किशनगढ़ निवासी 7 वर्षीय कोमल के हृदय की जन्मजात जटिल बीमारी ‘टेट्रोलोजी आॅफ फैलो’ (टीओएफ ) का मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, अजमेर में सफल आॅपरेशन कर हाॅस्पिटल के अनुभवी चिकित्सकों की टीम ने अभूतपूर्व सफलता पाई है। बेबी कोमल दो महीने मित्तल हाॅस्पिटल में भर्ती रही। उपचार के दौरान करीब 40 दिन बेबी कोमल को वैन्टीलेटर पर रहना पड़ा। उसके डायलिसिस की भी जरूरत पड़ी व रक्तस्राव के कारण उसे खून भी दिया गया। बेबी कोमल के स्वस्थ होने में अभिभावकों के संयम व सहयोग के साथ मित्तल हाॅस्पिटल प्रबंधन का बहुत बड़ा आर्थिक योगदान रहा। हाॅस्पिटल से छुट्टी मिलने के 15 दिन बाद स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आई कोमल के चहरे पर मुस्कुराहट थी वहीं उसकी नानी व पिता राजस्थान सरकार, हाॅस्पिटल प्रबंधन व चिकित्सकों का धन्यवाद करते नहीं थक रहे थे।
बेबी कोमल के हृदय में ईश्वर की छोड़ी जन्मजात चार कमियां थीं, जोकि 10 हजार बच्चों में 3 से 6 में ही पायी जाती हैं। इस बीमारी से ग्रसित 20 प्रतिशत बच्चे ही 10 वर्ष की उम्र तक पहुंच पाते हैं। अधिकांश को तो बीमारी का पता चलने अथवा उपचार मिलने में ही समय बीत जाता है। बेबी कोमल का हृदय बहुत कमजोर था। उसके दोनों निलयों के मध्य छेद था जिसे वीएसडी कहते हैं, फेफड़ों तक खून ले जाने वाली मुख्य नली में सिकुड़न थी, दायां निलय मोटा हो जाता था और खून ले जाने वाली मुख्य धमनी एक दूसरे के ऊपर चढ़ी होती थी। जन्म के कुछ दिनों बाद से ही बेबी कोमल नीली होने लगती थी। उसे सांस की भी तकलीफ रहती थी और उसकी शारीरिक विकास वृद्धि भी घीमी पड़ गई थी।
दिहाड़ी मजूरी करने वाले कोमल के पिता गणपत ने बताया कि 3 बेटियों सहित उसके 4 बच्चों में कोमल सबसे बड़ी है। उसकी बीमारी के बारे में उसे ना तो पता था ना ही उसके उपचार के लिए उनके पास आर्थिक सम्पन्नता। घर के नजदीक आंगनबाड़ी केंद्र पर अध्यापक ने उसकी तकलीफ को पहचाना और उन्हीं ने ही डाक्टर को दिखाया। जहां से उसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अधिकृत मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर निःशुल्क उपचार के लिए चिंहित कर भेजा गया।

बेबी कोमल ने बीमारी का कठोरता से किया मुकाबला-
बेबी कोमल के हृदय की शल्य चिकित्सा में और उपरांत संभावित जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए गुर्दा रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीरसिंह चौधरी, शिशुरोग विशेषज्ञ डाॅ सुनील गोयल व खास तौर पर हृदयरोग निश्चेतन विशेषज्ञ डाॅ डी सी जैन की पूरी निगरानी में यह गहन शल्य चिकित्सा की गई। आॅपरेशन और उसके बाद की सभी संभावित जटिलताओं का बेबी कोमल ने हिम्मत और कठोरता से मुकाबला किया। बेबी कोमल के हृदय की कार्यक्षमता लौट आई है और वह अब सामान्य बच्चों की तरह जीवन जीने को तैयार है।
डाॅ सूर्य, वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ

मित्तल हाॅस्पिटल प्रबंधन ने रखा मानवीय दृष्टिकोण-
आरबीएसके योजना में ‘टेट्रोलोजी आॅफ फैलो’ (टीओएफ ) आॅपरेशन सरकारी दर पर 1.45 लाख रुपए तक के निश्चित पैकेज में होता है। आॅपरेशन के बाद की संभावित जटिलताओं और उसके उपचार में आगे का खर्च वहन करने के लिए गवर्नमेंट की ओर से अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं है। बेबी कोमल का आॅपरेशन सफल होने के बाद उसे अन्य संभावित जटिलताओं का भी सामना करना पड़ा। करीब दो माह उपचाररत रहते उसने 40 दिन वैन्टीलेटर पर गुजारे, डायलिसिस प्रक्रिया से गुजरी, रक्त के स्राव के कारण खून चढ़ाया गया। मित्तल हाॅस्पिटल प्रबंधन के पास विकल्प खुले थे। बेबी कोमल को आगे उपचार के लिए किसी उच्च सरकारी चिकित्सा संस्थान पर भेजा जा सकता था किन्तु मित्तल हाॅस्पिटल प्रबंधन ने मानवीय संवदेना रखते हुए बच्ची के पूर्ण स्वस्थ होने तक मित्तल हाॅस्पिटल में ही निःशुल्क उपचार करने का निश्चय किया। कोमल के पूर्णरूप से स्वस्थ्य होने में तकरीबन 10 लाख रुपए का खर्च आने के बावजूद बेबी कोमल को सम्पूर्ण उपचार निःशुल्क ही उपलब्ध कराया गया। चिकित्सकों की मेहनत और हाॅस्पिटल प्रबंधन का मानवीय आधार पर आर्थिक सहयोग प्रशंसनीय है। केंद्र व राज्य सरकार के बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ मिशन में यह प्रकरण मिसाल बनेगा।
डाॅ रामलाल चौधरी- आरसीएचओ, अजमेर

एक बार में किया टोटल करेक्शन–
जन्मजात बीमारी का उपचार सिर्फ आॅपरेशन ही होता है। बेबी कोमल को जो बीमारी थी उसका उपचार ज्यादातर संस्थाओं में दो बार में किया जाता है। पहली बार में छोटा आॅपरेशन करके जिसे पैलेेएलिव प्रोसीजर कहते हंै के द्वारा फेफड़ों में रक्त का प्रवाह बढ़ाया जाता है तथा दूसरी बार में बड़ा आॅपरेशन जिसे टोटल करेक्शन कहते हैं, सभी खामियों को एक साथ ठीक किया जाता है। इस शल्य चिकित्सा में 5 से 7 घंटे लगते हैं। डाॅ सूर्य के नेतृत्व में बच्ची कोमल की ऐसी ही सफल शल्य चिकित्सा की गई। इससे बच्ची को बार-बार आॅपरेशन की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ा। बेबी कोमल के स्वस्थ बने रहने की कामना है।
डाॅ रणवीर चौधरी-नेफ्रोलोजिस्ट व डाॅ सुनील गोयल-शिशु रोग विशेषज्ञ

निदेशकों ने दी पूरी टीम को बधाई–
बेबी कोमल के हृदय की जटिल शल्य चिकित्सा में जुटे डाॅ सूर्य व उनके साथी चिकित्सकों सहित पूरी टीम जिनमें परफ्यूनिस्ट अनिल तथा आईसीयू स्टाफ जावेद, वैभव, परवेज एवं ओटी स्टाफ शशिकांत, पारो, अर्पित, नम्रता व ज्योति को मित्तल हाॅस्पिटल के निदेशक सुनील मित्तल, डाॅ दिलीप मित्तल, मनोज मित्तल एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस के जैन ने बधाई दी है। गौरतलब है कि मित्तल हाॅस्पिटल में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अब तक 1700 से अधिक गरीब, जरूरतमंद रोगियों को निःशुल्क उपचार दिया जा चुका है।

संतोष गुप्ता/प्रबन्धक जनसम्पर्क/ 9116049809

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