नवासा ऐ रसूल का मदीने से कर्बला का सफर

आतंकवाद के खिलाफ पहला विरोध।

दौराई । निकटवर्ती ग्राम दौराई मे दरगाह हजरत अब्बास अ.स पर हर साल की तरहा इस साल भी रविवार शाम को ईमाम हुसैन की मदीने से कर्बला की रूखसती का मंजर पेश किया गया । आॅल इण्डिया शिया फांउडेशन अजमेर के प्रवक्ता मौलाना सैय्यद काजिम अली जैदी ने बताया कि 28 रजब सन् 60 हिजरी को इमाम हुसैन ने इस्लाम को बचाने के लिए अपने नाना का प्यारा वतन मदीना छोड़ा । इसलिए शिया समुदाय के लोग इस दिन को नवासा ऐ रसूल की रूखसती के रूप मे मनाते है। मौलाना सैय्यद जुहेर अब्बास रिज़वी ने मजलिस को खिताब करते हुऐ समुदाय के लोगो को इमाम हुसैन के मदीना छोड़ने की वजह बताई । रिज़वी ने बताया कि शाम का हाकिम यजिद इब्ने माविया ने मोहम्मद साहब की ओर से बताए गए इस्लाम धर्म के नियमो मे परिवर्तन करने लगा । और इमाम हुसैन को बैयत (समर्थन ) के लिए मजबूर करने लगा । लेकिन इमाम हुसैन ने इस्लाम मे परिवर्तन का विरोध जारी रखा । और फरमाया मुझ जैसा तुझ जैसे कि बैयत नही कर सकता ।इस्लाम को बचाने के लिए इमाम हुसैन अपने परिवार के 18 जवान ओर अन्य साथियो के साथ कर्बला के लिए रवाना हो गए । छः माह का परेशानी भरा सफर तय करते हुए यह काफला दो मोहर्रम को कर्बला पहुंचा। जहां 10 मोहर्रम को तीन दिन तक पूरे काफले को भूखा प्यासा रख कर यजिदी फौज ने इमाम हुसैन व उनके साथियो को शहीद करवा दिया । बानिये मजलिस लियाकत हुसैन ने बताया कि मौलाना की तकरीर के बाद जूलूसे रूखसती का मंजर पेश किया गया । इस मौके पर सैय्यद आसिफ अली, ईमामे जुमा दौराई मौलाना सैय्यद जिशान हैदर जैदी, मौलाना सैय्यद शमीमुल हसन, मौलाना सायम रजा, मौलाना जरीफ हैदर,आबिद हुसैन, दिलावर अब्बास, अली हैदर, सखावत हुसैन, शब्बीर हुसैन, कल्बे मोहम्मद, अली सामिन सहित कई लोग मौजूद थे ।

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