दरगाह दीवान ने राष्ट्रपति को भागवत गीता प्रस्तुत की

अजमेर 14 मई। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीन एवं दरगाह दीवान ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की दरगाह जियारत के दौरान भागवत गीता प्रस्तुत कर देश में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए दुआ की।

सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद परिवार सहित सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर ज़ियारत के लिए पहुंचे दरगाह जियारत के बाद राष्ट्रपति एवं उनके परिवार की दरगाह दीवान सय्यद जैनुल आबेदिन अली खान द्वारा दरगाह के निजाम गेट परंपरागत रुप से स्वागत करते हुए दस्तारबंदी की गई की गई। इस अवसर पर दरगाह दीवान द्वारा राष्ट्रपति को दुआनामा एवं ख्वाजा साहब की जीवनी पर एक ऐतिहासिक पुस्तक भेंट की। दरगाह दीवान ने देश की गंगा जमनी तहजीब एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए राष्ट्रपति को विशेष रुप से भागवत गीता प्रस्तुत करते हुए कहा कि भागवत गीता में 18 चैप्टर हैं मगर इनमें प्रमुख रुप से भागवत गीता कर्म करने के बाद फल की इच्छा नहीं रखने के निर्देश देती है इसलिए मुल्क की सेवा को सर्वोपरि समझा जाना चाहिए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति अपने धर्म के मुताबिक भागवत गीता का अनुसरण करते हुए देश की उन्नति एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए बेहतर काम करें।

दरगाह दीवान ने कहा कि गंगा जमीनी तहजीब के मरकज गरीब नवाज की दरगाह से राष्ट्रपति को भागवत गीता का तोहफा देने के पीछे उनका मकसद यह है कि देश में सभी धर्मों के लोग आपसी भाईचारे एवं मोहब्बत के साथ जीवन यापन करें और गरीब नवाज के दरबार से यह संदेश जाए कि इतने बड़े धर्म स्थल से भागवत गीता प्रस्तुत की गई है।

दीवान सय्यद जैनुल आबेदिन अली खान
सज्जादा नशीन,दरगाह दीवान साहब
दरगाह हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेर ।

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