दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने दी ईद की मुबारकबाद

अजमेर 16 जून 2018 ।भारत से सिखे दुनिया मोहब्बत और भाईचारा, सूफ़ी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा भारत एक ऐसा देश हे जहाँ सभी धर्म ख़ूबसूरत फूलो का गुलदस्ता बनकर भारत की ताक़त बने हुए है ।
दरगाह दीवान आबेदीन ने ईद के मोके पर ख्वाजा साहब की दरगाह स्थित खानकाह (;ख्वाजा साहब के जीवनकाल में बैठने का स्थान) से देशवासियों ओर अपने अनुयाइयो के नाम ईद की मुबारकबाद का संदेश देते हुए कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ सभी धर्म हज़ारों वर्षों से मोहब्बत और अमन के साथ मिल जुल कर रहते आ रहे हैं। भारत एक ऐसा देश है जो सभी मज़हब को ख़ूबसूरत फूलों की तरहें एक गुलदस्ते की शक्ल में सज़ाकर रखे हुए हैं। रमज़ान का पवित्र महीना उसकी एक बड़ी मिसाल है की कैसे सभी धर्म के लोग मिल जुलकर एकसाथ रोज़ा इफ़तार करते हैं और फिर ईद पर एक दूसरे से गले मिल कर एक दूसरे के घर पर जाकर एक दूसरे के धर्म का आदर करते है । हमारे मुल्क की यह गंगोजमनी तहज़ीब दुनिया के लिए एक मिसाल है । दुनिया ने हम से ही सीखा है कि कैसे सभी धर्म के लोग बिना भेदभाव के एक साथ रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में हिंसा का कोई स्थान नहीं है ।लेकिन विगत कुछ वर्षों से भारत और दुनिया के अन्य भूभागो में इस्लाम के नाम पर ज़बरदस्ती हिंसा फैलाने की घटनाएँ सार्वजनिक हुई है। भारतिय उप.महाद्वीप में भी कई लोगों ने पवित्र क़ुरान की ग़लत व्याख्या कर इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश की लेकिन कुछ विद्वानों ने उन्हें चुनौती दी और इस्लाम की सकारात्मक व्याख्या प्रस्तुत कीं।

उन्होंने कहा कि एक ईश्वर एक धर्म के दर्शन का उद्देश्य विभिन्न धर्मों के अनुयाइयों के बीच प्रेम सद्भावना एवं शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को बढ़ावा देना है। इस दर्शन के अंदर मानव जाति का कल्याण निहित है और अल्लाह ने पैगम्बरों को इंसानों के हृदय पवित्र करने व उनमें दया ए आस्था एविनम्रता तथा इंसानियत को फिर से जगाने हेतु धरती पर भेजा। पैगम्बरों ने अपनी शिक्षा के द्वारा ईश्वर की इच्छा को प्राप्त करने हेतु अपना पूरा जीवन लगा दिया और कईयों ने तो इसे पाने के लिए अपनी ज़िंदगी कुरबान कर दी। अक्सर देखा गया है कि शरारती तत्व धर्म ग्रंथों की ग़लत व्याख्या करके हिंसा कट्टरता एनफ़रत एआतंक एवं पक्षपात को बढ़ावा देते हैं जिसका एक स्वर में कठोर शब्दों में विरोध एवं निंदा की जानी चाहिए। आज के समय में जब विभाजनकारी एवं अराजक तत्वों ने अपने वीशिपत विचारधाराध्मानसिकता से संसार को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है ऐसे में विश्व भर के लोगों को विनम्रत इंसानियत तथा सौहार्द को सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने होंगे ताकि ईश्वर की इच्छा तथा पैगम्बरों के लक्ष्यों को पाया जासके।
दरगाह दीवान ने कहा कि इस्लाम के नाम पर कट्टरपंथियों रूआतंकवादियों द्वारा बेरहमी से किए जा रहे अपराध वास्तव में इस्लाम की सुनदर और सुकूनिइल्म को नुक़सान पहुँचा रहे हैं ।इस तरह के बुरे कामों के कारण इस्लाम के प्रति दहशत और टकराव पैदा होता है और इस्लाम की तस्वीर धुँधली होती है।
अंत में दरगाह दीवान ने कहा कि सभी मज़हब ख़याली तनव्वोरो तथा मतभेदों के बावजूद सभी से मोहब्बत करने और किसी से भी नफ़रत नहीं करने की प्रेरणा देते हैं और बाहें फैलाकर अल्लाह ताला कि इस रचना का स्वागत करते हैं । अब वह समय आगया है कि हम बुरी ताक़तों का दमन कर के इस्लाम में सभी की आस्था को मज़बूत बनाए। कियो की मुल्क की नौजवान नस्लें अब विकास की और नजरें जमाई हुई हैं ऐसे में उन्हें धार्मिक कट्टरता में उलझाना देश के और समाज के विकास उन्नति को बाधित करने जैसा होगा इस मुद्दे पर अब धार्मिक एवं राजनीतिक संगठनों को सियासत बंद कर देनी चाहिए क्योंकि गैर ज़िम्मेदाराना बयानबाजी से वैमनस्य फैलने की आशंका रहती है इसलिए मौजूदा दौर मैं सियासी और मजहबी रहनुमाओं को नौजवानो के लिये प्रेरणा बनना होगा जिस से की नोजवान पीडी के लिय अच्छा माहोल बने उन्हें सभ्य समाज मिले और नौजवान सही रास्ते पर चल कर समाज को देश को मज़बूत करे ।

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