सद्गुरु सभी भरमों का नाश करते हैं

केकड़ी:– सद्गुरु जीवात्मा के लिए कह रहे हैं न तेरा जन्म होता है,न तू मरता है,न तू शरीर है। तू अडोल अविनाशी है सद्गुरु ही परमात्मा का ज्ञान कराकर सब भरमों का नाश करते हैं।उक्त उद्गार कोटा से आए ज्ञान प्रचारक संत मनोहर लाल ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए
मंडल प्रवक्ता राम चन्द टहलानी के अनुसार संत मनोहर लाल ने कहा कि स्वांस स्वांस सिमरौ गोविंद,मन अंतर की उतरै चिंत इंसान परमात्मा को अपने सामने हाजिर नाजिर देखकर अंग संग महसूस कर उसका स्मरण करे तो उसके मन की मैल धुलती है परमात्मा के स्मरण से काम, क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार का नाश होता है फिर इंसान मैं का त्याग कर,बुरे का संग ना करे क्योंकि परमात्मा जब देने पर आते हैं तो इंसान लेते-लेते थक जाता है पर परमात्मा जो दाता है देते देते नहीं थकते।पूरे गुरु का सुन उपदेश पार ब्रह्म निकट कर वैख, सद्गुरु अधूरा नहीं पूरा ज्ञान बक्षते है इंसान के भरम मिटाकर ब्रह्म से जोड़ते हैं इंसान के गुण और अवगुणों को न देख कर शरण में आने वाले सभी को गले लगाते हैं गनका वैश्या,अजामिल पापी आदि इसके जीवंत उदाहरण हैं इनका नाम आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। रास्ता उसके लिए होता है जो दूर है,अज्ञानता में है,दर-दर भटक रहा है,हैरान हो रहा है जिसने भी सद्गुरु कृपा से परमात्मा को जान लिया फिर मान लिया वह इंसान फिर हर पल आनंद मनाता है जीव संसार में परमात्मा की जानकारी लेने, उसका स्मरण करने के लिए जन्म लेकर आता है पर माया वश भूल जाता है सद्गुरु की शरण में जाने पर ही सद्गुरु असत्य का भेद मिटाकर सत्य का ज्ञान कराकर परमात्मा से जोड़ते हैं।
सत्संग के दौरान रेणू,गौरव,अंजू, दिव्या,वंश,ओँकार,नरेश,समृद्धि,करुणा,बालूराम,संगीता,तरुणा, निशा,नमन,आशा आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन अशोक रंगवानी ने किया

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