वेदों का अन्तिम छोर आध्यात्म- डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार

अजमेर- १७ नवम्बर २०१८: पुष्कर रोड स्थित ऋषि उद्यान में ऋषि मेले के द्वितीय दिवस की शुरुआत सूक्ष्म क्रियाएँ, ध्यान, प्राणायाम व यज्ञ के साथ हुयी। डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार जी ने यज्ञ के उपरान्त वेद प्रवचन दिये। उन्होंने बताया कि वेदों का अन्तिम छोर आध्यात्म है। व्यक्ति को संयम विकसित करना होगा और ज्ञान के साथ-साथ संयम का अभ्यास आवश्यक है। ज्ञान का विकास मनुष्य को बड़ा बनाता है और अधूरा ज्ञान मनुष्य में अहंकार उत्पन्न करता है।
द्वितीय दिवस में अन्तर्राष्ट्रीय वेदगोष्ठी का तृतीय और चौथे सत्र का आयोजन किया गया जिसमें षड्दर्शनों की वेदमूलकता विषय पर शोध पत्रों का पत्र वाचन किया गया। इन सत्रों की अध्यक्षता क्रमश: आचार्य विद्यादेव तथा प्रो. विनय विद्यालंकार ने की। मुख्य अतिथि के रूप में आचार्या सूर्यादेवी तथा आचार्या प्रियम्वदा वेदभारती सुशोभित थी। गोष्ठी का संचालन ब्रह्मचारी सोमेश पाठक तथा आशुतोष पारीक ने किया और संयोजन वेदप्रकाश विद्यार्थी थे। आयोजन में डॉ. आशुतोष पारीक ने षड्दर्शनों में कर्म सिद्धान्त और महर्षि दयानन्द, आचार्य शंकर विद्यावाचस्पति ने षड्दर्शनों में मोक्ष प्राप्ति के साधन और महर्षि दयानन्द, स्वामी सम्यक् क्रान्तिवेश ने महर्षि दयानन्द के अनुसार षड्दर्शनों का समन्वय, श्रीमती कृपा शर्मा आर्या ने वेदान्त दर्शन में वर्णित ब्रह्मा के स्वरूप की वेद मन्त्रों से पुष्टि, सोमदेव शतांशु जी ने योग दर्शनोक्त प्राणायामों की वैदिकता एवं महर्षि दयानन्द सरस्वती , डॉ. विनय विद्यालंकार ने महर्षि दयानन्द वर्णित दार्शनिक तत्वों का आधार वेद, कुमारी भावना ने षड्दर्शनों में प्रमाण विचार व महर्षि दयानन्द, कु. लक्ष्य ने षड्दर्शनों में वेद विचार व महर्षि दयानन्द, वेदवति ने षड्दर्शनों में बन्धन का सिन्द्धात व वेदमूलकता, प्रियंका ने षड्दर्शनों में जीव या जीवात्मा का सिद्धान्त व महर्षि दयानन्द, आचार्य सूर्यादेवी चतुर्वेदा जी ने वेदान्त दर्शन का ब्रह्म निरूपण इत्यादि वेद सम्पुष्ट विषयों शोध पत्रों का वाचन किया।
आचार्य धर्मवीर वेद प्रचार सम्मेलन में अध्यक्षता डॉ. वेदपाल जी और मुख्य अतिथि सुरेन्द्र कुमार आर्य जी रहे। सम्मेलन में महाराज विश्वानन्द जी ने बताया कि स्वामी दयानन्द जी द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश आर्यसमाज का मूल ग्रन्थ है। जिसमें कहा गया है कि विश्व को आर्य बनाते चलो। उन्होंने बताया कि प्रत्येक आर्यसमाजी के घर में चारों वेद की पुस्तकेें अवश्य होनी चाहिए। श्री विजय शर्मा जी ने प्रवचन देते हुये बताया कि बच्चों को संस्कार और आचारवान् बनाने के लिए जहाँ भी यज्ञ हो वहाँ अवश्य ले जाना चाहिए।
वेद कण्ठस्थीकरण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान पर ब्रह्मचारी सुमित, द्वितीय दिव्यांश व तृतीय स्थान पर ब्रह्मचारी अमित रहे। यजुर्वेद कण्ठस्थीकरण में प्रथम स्थान पर ब्रह्मचारी मनीष रहे। अथर्ववेद कण्ठस्थीकरण में प्रथम स्थान पर ब्रह्मचारिणी सुनीति रही। डॉ. प्रियम्वदा वेद भारती को वैदिक विदुषी का वेद सम्मान व २१,०००/- रुपये नकद दिये गये। मास्टर रामपाल जी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। संयोजक डॉ. विनय विद्यालंकार जी थे।
द्वितीय सत्र में मानव निर्माण में योग की भूमिका विषय पर प्रवचन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष मास्टर रामपाल व मुख्य अतिथि-शत्रुघ्न आर्य थे। मुख्य अतिथि ने बताया कि भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्त्व है। चित्त को केन्द्रित करने के लिए योग आवश्यक है। योग का अन्तिम लक्ष्य व्यक्ति को स्वयं से ऊँचे उठाकर ज्ञानोदय की उच्चतम अवस्था प्राप्त करने में मदद करना है। संयोजक आचार्य ओमप्रकाश जी थे।
द्वितीय सत्र में ही पुनर्जागरण आन्दोलन और महर्षि दयानन्द विषय पर प्रवचन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री विद्यामित्र ठुकराल, संयोजक डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार जी थे।
परोपकारिणी सभा, अजमेर द्वारा आयोजित १३५वें ऋषि मेले के दूसरे दिन आर्यवीर दल अजमेर के आर्य वीरों एवं आर्य वीरांगनाओं द्वारा भव्य व्यायाम प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षित व्यायाम शिक्षकों के निर्देशन में आर्यवीरों व वीरांगनाओं द्वारा सामूहिक सर्वांग सुन्दर व्यायाम, सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार, लाठी, तलवार व रिद्धमिक योगा का आकर्षक प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम में आर्यवीर दल राजस्थान के नवनियुक्त प्रान्तीय संचालक श्री भवदेव शास्त्री ने आर्यवीर दल के इतिहास पर प्रकाश डाला तथा संगठन के कार्यों व उद्देश्यों के बारे में अवगत कराया तथा आगामी शिविरों की जानकारी दी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री अशोक पंवार जी, परोपकारिणी सभा के नवनियुक्त प्रधान श्री वेदपाल आर्य, मन्त्री श्री कन्हैयालाल जी, आचार्य विजयपाल जी, श्री ओम्मुनि, डॉ. दिनेशचन्द्र शर्मा, सुभाष नवाल जी आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन जिलाध्यक्ष डॉ. विश्वास पारीक द्वारा किया गया। उन्होंने कहा आर्यवीर दल की प्रान्त स्तरीय बैठक कल प्रात: १०.०० बजे ऋषि उद्यान में होगी।
सायं काल में यज्ञ, संध्या और भजन का आयोजन किया गया। श्री ओम्मुनि जी ने बताया कि दिनांक १८/०४/१८ को आसन, प्राणायाम, यज्ञ, वेदपाठ के साथ विभिन्न विषयों पर प्रवचन का आयोजन किया जाएगा। साथ ही तीन दिवसीय ऋषि मेले का समापन कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।

भवदीय
मन्त्री

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