कर्मयोग की साधना ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य- सत्यदेव शर्मा

प्रत्येक मनुष्य के जीवन का अंतिम लक्ष्य आत्मोत्थान एवं मोक्ष की प्राप्ति है जिसे गृहस्थ जीवन मे कर्मयोग के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है
ठाकुर रामकृष्ण परमहंस के जीवन से हम कर्मयोग को भली-भांति समझ सकते हैं अर्जुन को दिए गए गीता का संदेश मुख्य रूप से कर्मयोग पर ही आधारित है विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी का प्रत्येक कार्यकर्ता अपने कार्य को कर्मयोग समझते हुए मनुष्य निर्माण से राष्ट्रनिर्माण के कार्य में जुड़ा हुआ है

उक्त विचार विभाग संचालक सत्यदेव शर्मा ने विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की अजमेर शाखा के रामकृष्ण विस्तार मैं लक्ष्मी नारायण मंदिर वैशाली नगर में योग वर्ग के दौरान व्यक्त किए वे गीता जयंती पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे

नगर प्रमुख रविंद्र जैन ने बताया कि गीता जयंती के अवसर पर अजमेर नगर के विभिन्न स्थानों पर चल रहे योग वर्गों में गीता जयंती का उत्सव मनाया गया जिसमें कर्म योग के श्लोकों का उच्चारण किया गया तथा इसके साथ ही कर्मयोग श्लोक की व्याख्या एवं स्वाध्याय किया गया
पंचशील नगर स्थित चाणक्य स्मारक में डॉ अनीता खुराना ने स्वाध्याय का अभ्यास कराया वहीं एलआईसी अलवर गेट में संचालित वर्ग में विभाग व्यवस्था प्रमुख महेश शर्मा ने स्वाध्याय वर्ग लिया विवेकानंद विस्तार के रामकृष्ण आश्रम में प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख डॉ स्वतंत्र शर्मा ने गीता पर स्वाध्याय लिया

जैन ने बताया सभी वर्गों में अच्छी संख्या में योग साधकों में गीता का स्वाध्याय किया जिसमें डॉ श्याम भूतड़ा , डॉ अशोक मित्तल, राकेशजी,मनोज बिजावत एव अन्य साधक उपस्थित थे।

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