मोक्ष और मुक्ति के लिए मिली है मानव योनि

केकड़ी 5 मई ।जहान में सर्वोत्तम योनि मानव योनि है इसमें ही सद्गुरु की कृपा से परमात्मा को जानकर जीव मोक्ष और मुक्ति पा सकता है इससे ही वह चौरासी के चक्र से मुक्ति पाकर आवागमन के चक्र से मुक्त हो पाता है उक्त उद्गार संत गोपाल ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मीडिया सहायक राम चंद टहलानी के अनुसार संत गोपाल ने कहा कि ‘बड़े भाग्य मानुष तन पावा,सुर दुर्लभ सब ग्रंथही गावा’। अर्थात मनुष्य योनि बड़े भाग्य से मिलती है यह देवताओं के लिए भी दुर्लभ बताई गई है वह भी इस मानव योनि के लिए तरसते हैं इस योनि में ही परमात्मा को जानकर उसका स्मरण किया जा सकता है। इस योनि में ही सारे जीवों के प्रति प्रेम दया का भाव रख पाता है इसलिए कहा भी गया है ‘हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रकट होत मैं जाना’।परमात्मा सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है और वह प्रेम से ही प्रकट होते हैं जहां प्यार,नम्रता,मिलवर्तन, भाईचारा,आदर,सत्कार है वहां पर परमात्मा का वास बताया गया है ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहीं अधि माई”। परोपकार की भावना को जागृत रखना होगा पराई पीड़ा को अपना समझ कर सेवा करनी होगी इस दिव्यता को धारण करने वाला धर्मी कहलाता है।पर विडंबना है कि इंसान धारण को भूलकर धारणा में बह गया है,क्योंकि कोई भी धर्म मारकाटआपस में बैर रखना नहीं सिखाता सद्गुरु ही वैर नफरत विरोध को समाप्त कर इस रमें राम से मिलाते है। इस को ही आधार बनाकर जीवन जीना है कोई हंस कर जिया, कोई रो कर जिया,जीना उसी का मुबारक हुआ जो गुरु का होकर जिया। गुरु के द्वारा प्रदत ज्ञान से ही जीव की दशा सुधरती है जिसने भी अपने आप को गुरु चरणों में समर्पित कर दिया फिर उसका लोक और परलोक दोनों सोहेला हो जाता है।
सत्संग के दौरान मुरलीधर, दिव्या,आरती,विवेक,गौरव, सानिया,समृद्धि,नमन,शीतल, रोहित,रामचंद्र,भगवान,मंजू, निशा, संगीता,मुकेश,कंचन, पायल, आशा अशोक रंगवानी ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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