अकड़न-जकड़न-सूजन मिटाने में मददगार फिजियोथेरेपी

शरीर का प्रत्येक अंग बोलता है उसकी सुनें- डाॅ बी एल गुर्जर
अजमेर, 8 सितम्बर ( )। शरीर का प्रत्येक अंग बोलता है, उसकी सुनें। शरीर की आवाज को अनसुना करने का मतलब है अपनी सामान्य जीवन शैली को खो देना।
यह कहना है फिजियोथेरेपिस्ट डाॅ बी एल गुर्जर का। विश्व फिजियोथेरेपी डे, 8 सितम्बर, 2019 के अवसर पर मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पुष्कर रोड अजमेर के फिजियोथेरेपी विभाग में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही। डाॅ गुर्जर ने बताया इस बार की थीम लोगों में चलते रहने के प्रति जागरुकता ( मूवमेंट फाॅर हैल्थ) रखी गयी है।
विभाग में फिजियोथेरेपी के लिए आए मरीजों एवं आमजन को उन्होंने संदेश दिया कि फिजियोथेरेपी चिकित्सा विज्ञान की वह महत्वपूर्ण कड़ी है जो मरीजों को तो सामान्य जीवन जीने के लिए मददगार होती ही है साथ ही आमजन को उसकी गैर इरादतन आदतों से होने वाली तकलीफों से भी बाहर लाती है। उन्होंने कहा कि अनजाने में लोग कभी वाहन ड्राईव करते हुए, मोबाइल पर चेट करते वक्त, कम्प्यूटर पर काम करते समय, रसोई, घर या आॅफिस में रोजमर्रा के काम करते हुए, सफर में वजन उठाते हुए, सोते, उठते, बैठते अपने शरीर के पाॅइश्चर ( मुद्रा )का ध्यान ही नहीं रख पाते। सही पाॅइश्चर में नहीं होने के कारण शरीर के अंगों को तकलीफ होती है। आखिर वह तकलीफ उनके सामान्य जीवन शैली को प्रभावित कर देती है। वर्तमान में उनके पास फिजियोथेरेपी के लिए पहुंचने वाले लोगों में 60 से 70 प्रतिशत वयस्क जवान लोग ऐसे हैं जो कि कमर दर्द अथवा गर्दन के दर्द से पीड़ित है। बुर्जुग स्त्री, पुरुष घुटनों के दर्द, हाथ व पैरों में अकड़न को लेकर आते हैं। कई बच्चे जन्मजात तकलीफ से पीड़ित हैं, फिजियोथेरेपी के विषय में सही जानकारी नहीं मिल पाने की वजह से पीड़ा पा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मौजूदा जीवन शैली में लोगों ने काम काज की तरह शरीर को भी प्रोफेशनली ले लिया है जबकि अपने शरीर के साथ रिश्ता इमोशनली होना चाहिए। भागमभाग के दौर में हर व्यक्ति शरीर और उसकी जरूरतों को अनसुना करता हुआ ही आगे बढ़ता जा रहा है जबकि इस हाल में वह एक दूरी तक जाकर थक-हार कर बैठ जाता है। शरीर की अकड़न-जकड़न और सूजन उन्हंे फिर सामान्य जीवन जीने लायक भी नहीं छोड़ती। इससे बेहतर है कि शरीर की सुनें, सही पाॅइश्चर में बैठे, उठे, सोयें, नियमित व्यायाम करें, प्रतिदिन सुबह 4 किलोमीटर पैदल चलंे, खान-पान का ध्यान रखें, शरीर का वजन बढ़ने से रोकें।

सफल स्टोरी-
अब मेरी एक भी छुट्टी नहीं-

सड़क दुर्घटना में घायल होने की वजह से सन् 2008 से पीड़ा भुगत रहे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में कार्यरत रामकरण ने बताया कि फिजियोथेरेपी के कारण ही उन्हें आराम है। कमर दर्द के कारण वे आॅफिस में बैठ नहीं सकते थे। माह में बीस दिन छुट्टी पर रहना पड़ता था। डाॅ बी एल गुर्जर ने जब से उन्हें फिजियोथेरेपी दी है तब से आॅफिस में उनकी एक भी छुट्टी नहीं लगी है। कमर दर्द तो छू मंतर हो गया।
अपने पैरोें पर चलने की उम्मीद जागी-
किशनगढ़ से नियमित फिजियोथेरेपी कराने आ रही कुमारी तोषिका गुप्ता ने बताया कि वह प्रिमेच्योर बेबी थी। तीन साल की होने पर भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती थी। सभी को दिखाया, उम्मीद टूट चुकी थी। डाॅ बी एल गुर्जर से मिलने के बाद आज अपने पैरों पर खड़ी होने लगी हूं। अब में बिना सहारे चलने के लिए हिम्मत जुटा रही हूं।
घुटनों के कारण चला नहीं जाता था-
पुष्कर रोड अजमेर निवासी चंदा देवी का पैर मुड़ता नहीं था। घुटनों में दर्द रहता था। पांच साल से पीड़ा पा रही थी। दर्द निवारक गोलिया लिया करती थीं। फिजियोथेरेपिस्ट डाॅ बी एल गुर्जर से मिलने के बाद से नसों को इतना आराम मिला कि अब उनका पैर मुड़ने लगा है। नियमित फिजियोथेरेपी के लिए आती हैं। चलने फिरने का आराम है।
हाथ फिर से काम करने लगा-
मोटर साइकिल से फिसलकर हाथ की चोट लगने से पीड़ित धोलाभाटा अजमेर निवासी मुकेश चैहान का हाथ आज ठीक से काम करने लगा है। तीन माह पहले उनके हाथ का अजमेर से बाहर आॅपरेशन हुआ था। किन्तु आराम नहीं मिला। डाॅ बी एल गुर्जर से नियमित फिजियोथेरेपी ली काफी राहत मिली है।

सन्तोष गुप्ता
प्रबंधक जनसम्पर्क/9116049809

error: Content is protected !!