हमें अत्यन्त दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि हमारे परिवार के ‘लाईफ लाईन’ आज हमारे बीच नहीं रहे, हमारे प्रिय जीजाजी कर्मवीर डाॅ. धरमू लौंगानी जी का निधन आज बुधवार, दिनांक 8 जुलाई 2020 को जयपुर में आकस्मिक निधन हो गया है।
डाॅ. लौंगानी एक सच्चे कर्मवीर थे, वह हर समय कर्म में विश्वास रखते थे, बचपन से ही वह काफी जुझारू प्रकृति के रहे, अपनी माता के साथ रहते हुए अपनी कड़ी मेहनत व सच्ची लगन से उन्होनें परिवार व अपनी शिक्षा को उत्तरोतर प्रगति देते हुए डाॅक्टरी की शिक्षा पूर्ण की। उसके लिए उन्होंने पार्ट टाईम कार्य भी किया। बचपन से ही काफी मेहनतश थे।
डाॅ. साहब की कई विशेषताऐं थी, जितनी मेरी जानकारी में है उनमें से एक विशेषता यह थी कि जब क्लिनिक शुरू कि थी, तब काफी कम फीस पर यह पेशेन्ट देखा करते थे, उसमें भी कोई ऐसा गरीब व्यक्ति आ जाता था जो फीस नही दे सकता था तो उससे सिर्फ फीस ही नहीं लेते थे, बल्कि उसे दवाई भी फ्री (निःशुल्क) में दे देते थे। वह अपने क्षेत्र के ‘गरीबों के मसीहा’ थे। उनके हाथ में जो शफा थी, शायद ही किसी में हो। अजयनगर, भगवान गंज, खानपुरा, सोमलपुर, रामगंज, इत्यादि इलाकों के कई परिवारों के यह फैमिली डाॅक्टर थे।
दूसरी एक महत्वपूर्ण विशेषता थी कि वह अपने रिश्तेदारों, मिलने वालों को कभी भी किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत होती थी, वह तुरन्त उनके साथ खड़े हो जाते थे, तन-मन-धन के साथ, कभी उन्होनें किसी को कमी नहीं आने दी। उनका कहना रहा कि ‘अपने परिवार का कोई भी जना पीछे नही रहे’। आज अगर मेरी स्वयं की बात की जाये तो आज मेरा मकान उन्हीं की वजह से है, मेरा मनोबल बढ़ाने में हर तरह से मेरा सहयोग कर मुझे मकान दिलवाया, आज मैं व मेरा परिवार तहे दिल से उनका शुक्रगुजार है।
ऐसे सच्चे कर्मवीर व्यक्तित्व के धनी ‘डाॅ. धरमू लौंगानी’ जो आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उन्होंने एक मिसाल कायम की है, एक ऐसी लकीर खीचीं है जो मुझे नहीं लगता कि भविष्य में भी उनकी उस लकीर के बराबर भी कोई पहुँच पायें।
शब्द कम पड़ेगें ऐसे व्यक्तित्व के लिए जिसने सबके लिए ‘निःस्वार्थ’ सब कुछ किया, हमारे लिए हर समय कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहने वाले इस महान व्यक्ति के लिए हमें अत्यन्त दुःख इस बात का है कि आज कोरोना की इस महामारी की वजह से हम उन्हें कन्धा तक नहीं दे पाये।
आज का दिन हमारे लिए ‘काला दिवस’ के रूप में माना जायेगा। आज यह खबर सुन हमारा सबका मन बहुत व्यथित है। लेकिन ऐसा लगता है कि शायद ईश्वर को उनकी हमारे से ज्यादा जरूरत थी, इसलिए उन्हें हमारे बीच से उन्हें उठाकर ले गये। हमारी दिल से प्रार्थना है कि ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान देवें व शोक संतप्त परिवार को इस घड़ी में दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।
मनीष प्रकाश किशनानी
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