बिना ऑपरेशन दूरबीन के जरिए निकाली आंतों की गांठ(पाॅलिप)

मित्तल हाॅस्पिटल के गैस्ट्रोएण्ट्रोलाॅजिस्ट डाॅ मनोज कुमार ने रोगी को दर्द से दिलाई निजात
अजमेर, 8 जुलाई( )। आंतों में रुकावट, मल के साथ रक्त जाने व पेट में दर्द की असहनीय पीड़ा से परेशान रोगी के बिना आॅपरेशन मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में आंत का ट्यूमर निकाल दिया गया। हाॅस्पिटल के गैस्ट्रोएण्ट्रोलाॅजिस्ट डाॅ मनोज कुमार ने दूरबीन के जरिए गुदा द्वार से यह गांठ अर्थात बेनाइन ट्यूमर (पाॅलिप ) निकाली। कोरोना काल में रोगी को पेटदर्द ने ऐसे घेरा हुआ था कि उन्हें उपचार के लिए ना तो घर से बाहर निकलना बन पा रहा था और ना ही घर में रहना। पेटदर्द दिन भर में कभी भी उठता तो असहनीय पीड़ा भुगतनी पड़ रही थी।
ब्यावर निवासी भगवानदास सेवानी ने बताया कि उन्हें एक साल से पेट में दर्द की तकलीफ रहा करती थी। विभिन्न डाक्टरों से सलाह ली, सीटी स्कैन आदि जांचें भी कराईं। लेकिन कहीं कोई राहत नहीं मिल पा रही थी ना हीं बीमारी का पता चल पा रहा था। मल के साथ रक्त जाने से कमजोरी भी बढ़ने लगी थी। मित्तल हाॅस्पिटल पहुंचने पर डाॅ मनोज कुमार ने बड़ी आंत की जांच की सलाह दी। जांच में पता चला कि उनकी आंत में बड़ी गांठ है। पहले गांठ की बायोप्सी जांच के लिए भेजी, जिसकी रिपोर्ट में टिशू सामान्य आने पर बाहर से मंगवाए एक खास तरह के इंस्टूमेंट से दूरबीन के जरिए गुदा द्वार से ट्यूमर को बाहर निकाल दिया।
डाॅ मनोज ने बताया कि रोगी की बड़ी आंत में काफी बड़ी पाॅलिप बन गई थी जिसके कारण उन्हें तकलीफ रहा करती थी। पाॅलिप को निकालने के दौरान किसी भी असामान्य स्थिति से बचने के लिए सर्जरी टीम को साथ में लिया गया। रोगी को कम से कम तकलीफ हो ऐसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए गांठ को गुदा द्वार से बाहर निकाला गया। रोगी को दो दिन में छुट्टी दे गई। डाॅ मनोज ने बताया कि सामान्य रूप से इतने बड़े पाॅलिप को आॅपरेशन के जरिए ही निकाला जा सकता था। किन्तु उन्होंने खास तकनीक व उपकरण के जरिए रोगी को बिना कोई चीरा लगाए उपचार किया।
अहम बात है कि कोरोना काल में रोगी को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा था। अजमेर से बाहर अस्पताल में जाने की स्थितियां बन नहीं रही थीं। अजमेर में भी अन्य चिकित्सालयों में आॅपरेशन कराने की ही सलाह दी जा रही थी। मित्तल हाॅस्पिटल में गैस्ट्रोएण्ट्रोलाॅजिस्ट डाॅ मनोज कुमार और उनकी टीम ने रोगी को बिना सर्जरी के पीड़ा मुक्त कर दिया। रोगी के उपचार में एण्डोस्काॅपी टेक्नीशियन रामकिशोर चौधरी एवं मुबारक हासमी का सराहनीय योगदान रहा।

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