पूर्वजों के इतिहास की रक्षा हमारा दायित्व- डॉ. मोक्षराज

(अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में नियुक्त रहे प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक डॉ. मोक्षराज ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन किए।)
अमेरिका में भारतीय संस्कृति का डंका बजाकर हाल ही में भारत लौटे डॉ. मोक्षराज ने मथुरा नगरी का सांस्कृतिक भ्रमण किया ।उन्होने श्रीकृष्ण जन्मभूमि, गोकुल, स्वामी विरजानंद दंडी की कुटिया एवं यमुना जी के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में योगेश्वर श्री कृष्णचंद्र जी महाराज जैसा कोई गृहस्थ योगी तथा नीतिज्ञ नहीं हुआ है।

हमें मानवता एवं प्रकृति के शत्रुओं के समूल नाश के लिए श्रीकृष्ण जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। पूरा विश्व श्री कृष्णचंद्र जी महाराज के योग, तप, ध्यान, प्रकृति-प्रेम एवं गोधन-प्रेम के साथ साथ गीता के उपदेश पर मोहित है । ऐसे महान पूर्वज की संतान होने में हम गर्व अनुभव करते हैं। हमें अपने पूर्वजों के इतिहास तथा उनसे सम्बद्ध धरोहरों के संरक्षण हेतु दूरगामी नीति बनानी चाहिए ।

भारतीय संस्कृति के शिक्षक एवं वैदिक विद्वान् डॉ. मोक्षराज ने स्थानीय विद्वानों से प्रमुख स्थलों के बारे में विशेष चर्चा की।उन्होंने बताया कि अमेरिका में अनेक लोगों को संपूर्ण गीता कंठस्थ है तथा वहाँ कई विश्वविद्यालयों में महाभारत भी पढ़ाया जाता है ।

गुरुधाम के दर्शन किए-
मथुरा प्रवास के दौरान उन्होंने 1857 की क्रांति के प्रमुख रणनीतिकार एवं समग्र क्रांति के अग्रदूत महर्षि दयानंद सरस्वती के गुरु प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानंद दण्डी के छत्ता बाजार स्थित स्मारक का भी अवलोकन किया।
उल्लेखनीय है कि 25 दिसंबर 1959 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद शर्मा ने इस ऐतिहासिक स्मारक का शिलान्यास किया था तथा 1975 में उप राष्ट्रपति श्री बंदाजत्ती द्वारा इस चार मंज़िला भवन का उद्घाटन हुआ।

गोकुल पहुँचे –
डॉ. मोक्षराज ने गोकुल जाकर यमुना जी व नंदबाबा के घर के भी दर्शन किए । इस प्रवास में मथुरा व भरतपुर क्षेत्र के रघुवीर सिंह, रवि चौधरी, बीना आर्या एवं गीता चौधरी भी साथ थे।

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